जैसे-जैसे बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि नजदीक आ रही है, वैसे ही बदरीनाथ जाने वाले यात्रियों की संख्या में कमी आ रही है। बदरीनाथ जाने वाले यात्रियों की संख्या 50 तक रह गई है। इससे ट्रांसपोर्टरों में मायूसी छायी है। कोविड के बाद इस साल चारधाम की यात्रा अच्छी चली। युवाओं की पहली पसंद केदारनाथ धाम रहा। देेश के अलग-अलग प्रदेशों से आने वाले युवा केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे। बताया जा रहा है कि 2013 के बाद केदारनाथ धाम में निर्माण कार्यों के बाद वहां के बदले स्वरूप को देखने के लिए युवा केदारनाथ की ओर उमड़ पड़े।
चारधाम के यात्रा के दौरान रोडवेज ने भी अपनी करीब 90 बसें लगाई थी। जिससे रोडवेज को अच्छी आमदनी प्राप्त हुई। रोडवेज की अधिकांश बसें केदारनाथ (सोनप्रयाग) भेजी गई। वहीं बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री बसें भेजी गई थी। अब केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बंद हो चुके हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को बंद होने हैं। करीब एक सप्ताह पहले बदरीनाथ की यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की संख्या 100 से 150 थी जो अब वह घटकर 50 पर आ गई है। पर्यटन विभाग की एजेंसी के चारधाम यात्रा पंजीकरण प्रभारी सुमन बिजल्वाण ने बताया कि ठंड बढ़ने के कारण यात्रियों की संख्या में कमी आ रही है। आजकल गुजरात और राजस्थान के यात्री ही बदरीनाथ की यात्रा पर जा रहे हैं।
बदरीनाथ जाने वाले यात्रियों की संख्या की संख्या में आ रही कमी, 19 नवंबर को बंद होंगे कपाट
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