हल्द्वानी के महिला अस्पताल में डॉक्टर के छुट्टी पर जाने के कारण महिलाओं के अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे हैं। अस्पताल प्रशासन की तरफ से वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई। डॉक्टर के पर्ची पर अल्ट्रासाउंड कराने की तिथि लिखने के बाद मरीज पहले महिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड केंद्र पहुंचे, मगर यहां अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद देख वापस लौटना पड़ा। जबकि अस्तपाल पहुंची अधिकांश महिलाएं नौवें माह की गर्भवती थीं, जिन्हें खासा दिक्कतों के बीच अस्पताल पहुंचना पड़ा।
शनिवार को महिला अस्पताल में सुबह आठ बजे से ही महिलाएं उपचार को पहुंचने लगीं। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करने के लिए एक ही प्रशिक्षित डॉक्टर है। डॉक्टर शनिवार और रविवार दो दिन की छुट्टी पर हैं। वहीं अल्ट्रासाउंड के लिए जिन मरीजों को डेट दी गई थी, उन्होंने पहले अल्ट्रासाउंड होने के भरोसे पर काफी देर तक अस्पताल में बैठकर इंतजार किया। बाद में महिलाओं ने अल्ट्रासाउंड केंद्र के गेट पर चस्पा नोटिस पर ध्यान दिया। इसमें डॉक्टर के दो दिन के लिए छुट्टी पर होने का जिक्र किया गया था। यह देख उन्हें वापस लौटना पड़ा। जबकि अस्पताल में प्रतिदिन करीब 40 से 45 मरीजों के अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं। इसके अलावा जो मरीज शेष रह जाते हैं, उन्हें बाद की डेट दी जाती है। अब डॉक्टर के न होने के कारण मरीज अल्ट्रासाउंड कराने के लिए बार-बार चक्कर लगा रहे हैं। सोमवार को अब जिन महिलाओं को अल्ट्राउंड की डेट दी है, उनके साथ शनिवार को पहुंची महिलाओं को भी अल्ट्रासाउंड के लिए फिर से लाइन लगानी पड़ेगी।
दो लोगों का सहारा लेकर पहुंची थीं महिलाएं
महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड को पहुंची नौवें माह की गर्भवती महिलाओं को सहारे की जरूरत पड़ती है। उन्हें चलने, उठने-बैठने में खासा दिक्कतें होती हैं। इसके चलते अस्पताल पहुंची महिलाओं के साथ उनके परिजन भी थे। जो महिलाओं को सहारा देकर अस्पताल पहुंच रहे थे। खासा तकलीफों के बाद अस्पताल पहुंची महिलाओं को निराश होना पड़ा।
पहले शहर के गड्ढों ने सताया फिर अस्पताल ने
हल्द्वानी शहर की सड़कों में जगह-जगह डामर उखड़ा हुआ देखा जा सकता है। इनसे सड़क पर हुए गड्ढों में लोगों को खासा झटके खाने पड़ते हैं। हालांकि लग्जरी गाड़ियों में घूमने वालों को गड्ढों का अहसास कम होता है। मगर महिला अस्पताल में तो अधिकांश गर्भवती महिलाएं गरीब परिवारों से थी, जो ई-रिक्शा के जरिए झटके खाते हुए अस्पताल पहुंची थीं।
पहले भी कई बार झेल चुकी हैं फजीहत
महिला अस्पताल में महज एक डॉक्टर के भरोसे अल्ट्रासाउंड मशीन चल रही है, जिनके छुट्टी पर जाते ही अल्ट्रासाउंड जैसे महत्वपूर्ण कार्य ठप हो जाते हैं। कुछ माह पूर्व भी डॉक्टर के 15 दिन छुट्टी पर रहने से महिलाओं को खासा दिक्कतें हुई थीं। जबकि नजदीक बेस अस्तपाल में अल्ट्रासाउंड 5 से 10 भी नहीं होते।
बोलीं महिलाएं
इंदिरानगर से बड़ी मुश्किल से अस्पताल पहुंची। यहां शनिवार को अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाया था, मगर डॉक्टर के न होने से अब खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। -निशा
मेरा नौवां महीना चल रहा है। ब्लॉक से यहां पहुंचने में काफी दिक्कतें हुईं। अब यहां डॉक्टर ही नहीं हैं। अब फिर से सोमवार को यहां आना पड़ेगा, जिससे दिक्कत होती है। –लता मौर्य
डॉक्टर ने पहले लिखित में शनिवार की डेट दी थी। अब वह खुद गायब हैं। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। महिलाओं को अस्पतालों में अक्सर इस तरह की फजीहत झेलनी पड़ती है। -हीना
गर्भवती महिलाओं को डेट देकर डॉक्टर छुट्टी पर
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