ऊर्जा कामगार संगठन महाधिवेशन के दूसरे दिन चुनाव के दौरान खुलकर दो हिस्सों में बंट गया। एक गुट ने राकेश शर्मा को दोबारा अध्यक्ष चुना तो दूसरे गुट ने विजय बिष्ट को अध्यक्ष चुना। दोनों एक-दूसरे को गलत ठहरा रहे हैं। उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन के अधिवेशन का शुक्रवार को आखिरी दिन था। इसमें नई कार्यकारिणी का चुनाव किया गया। एक गुट ने एपी अमोली को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया तो दूसरे गुट ने मोहम्मद रियाज को चुनाव अधिकारी नामित किया। एपी अमोली चुनाव अधिकारी की निगरानी में हुए चुनाव में विजय बिष्ट को प्रांतीय अध्यक्ष और दीपक बेनीवाल को प्रांतीय महामंत्री चुना गया।
सोहन शर्मा कार्यवाहक अध्यक्ष चुने गए। सीपी मठपाल को प्रांतीय कोषाध्यक्ष, एमएन उप्रेती को प्रांतीय महामंत्री चुना गया। तय किया गया कि अब यह आगे की कार्यकारिणी चुनेंगे। इस गुट का कहना है कि निवर्तमान अध्यक्ष राकेश शर्मा ने इस बात पर विरोध जताया कि चुनाव अधिकारी ने अध्यक्ष के तौर पर उनका नामांकन नहीं किया। इसके पीछे उनका सेवानिवृत्त होना वजह बताई गई। कहा गया कि संगठन की नियमावली के हिसाब से कोई भी सेवानिवृत्त कर्मचारी, पदाधिकारी नहीं बन सकता।
सीपी मठपाल को कोषाध्यक्ष चुना
दूसरे गुट के चुनाव अधिकारी मोहम्मद रियाज ने सर्वसम्मति से राकेश शर्मा को प्रांतीय अध्यक्ष चुना। इसके साथ ही एमएन उप्रेती को प्रांतीय प्रमुख महामंत्री, अनूप बिष्ट को कार्यवाहक अध्यक्ष, वृंदा रावत को महामंत्री मुख्यालय और सीपी मठपाल को कोषाध्यक्ष चुना। राकेश शर्मा का कहना है कि उनके संविधान में कहीं भी यह शर्त नहीं है कि सेवारत ही अध्यक्ष बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि खुद एपी अमोली रिटायर होने के बाद संगठन में पदाधिकारी रह चुके हैं। वह जिस एक्ट के तहत आते हैं, उसमें भी कोई ऐसा प्रावधान नहीं है। लिहाजा, वह ऊर्जा कामगार के सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने गए हैं।
चुनाव के दौरान खुलकर दो हिस्सों में बंटा ऊर्जा कामगार संगठन, दो अध्यक्ष चुने गए
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