हल्द्वानी। प्रदेशभर के राज्यकर कार्यालयों में कार्यरत 50 उपनल कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। इससे कर्मचारियों ने रोष है। उन्होंने कर्मियों को हटाने के लिए समान श्रेणी का तय न होना और बिना किसी पूर्व नोटिस के अचानक हटाने पर आपत्ति जताई है। उत्तराखंड राज्य कर विभाग के देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी संभाग स्थित अलग-अलग कार्यालयों में तैनात 50 उपनल कर्मचारियों को हटाए जाने के निर्देश विभाग की ओर से जारी कर दिए गए हैं। राज्यकर विभाग की ओर से 31 मार्च को निर्देश जारी होते ही कर्मचारियों में हलचल मच गई। आदेश पत्र के मुताबिक देहरादून संभाग के राज्य कर मुख्य कार्यालय में तैनात 13 और विकासनगर के चार उपनल कर्मचारियों को हटाया गया है। हरिद्वार संभाग के हरिद्वार राज्य कर कार्यालय से पांच, रुड़की से पांच, रुद्रपुर, गोपेश्वर और मुख्यालय में संबद्ध एक-एक कर्मचारी के साथ ही कोटद्वार कार्यालय में तैनात दो कर्मचारिया को हटा दिया है।
हल्द्वानी राज्यकर कार्यालय के पांच, नैनीताल के चार, टनकपुर के दो और रामनगर व बागेश्वर के एक-एक उपनल कर्मचारी की सेवाएं राज्यकर कार्यालय से समाप्त करने के आदेश दिए गए हैं। जारी पत्र के मुताबिक कुछ संभाग में कर्मचारियों को हटाने का कारण वहां प्रस्तावित खाली पदों से ज्यादा उपनल कर्मी होना बताया गया है तो कहीं जन्मतिथि में कमी की वजह दी गई है। इसे लेकर कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामले के अंतिम निस्तारण की डेट लगी हुई है। पूर्व में मुख्यमंत्री व अन्य मंत्री उपनल कर्मचारियों को न हटाए जाने की बात कह चुके हैं। इस प्रकार से कर्मचारियों को हटाने से उनमें आक्रोश है। संगठन राज्य सरकार से इन कर्मचारियों को उसी विभाग में अति शीघ्र नियुक्त कराए जाने का अनुरोध करता है। उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष पूरन भट्ट का कहना है कि 10 से 17 वर्ष सेवा देने के बाद भी उपनल कर्मचारियों को लगातार राज्य सरकार बिना किसी सूचना के उनकी सेवा से बाहर कर रही है। उम्र के इस पड़ाव में अल्प वेतनभोगी उपनल कर्मचारियों को हटाया गया है। इस महंगाई के दौर में कैसे जीवन यापन करेंगे।
बड़ा सवाल : सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है मामला, फिर क्यों हटाया
राज्यकर विभाग के इस फैसले पर कर्मचारियों ने गुस्सा जाहिर किया है। उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ के सलाहकार मनोज जोशी ने बताया कि वर्ष 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। वहां अभी मामला विचाराधीन है। बताया कि अभी भी जिन 50 उपनल कर्मचारियों को हटाया गया है, उनकी उन्हें किसी भी तरह का पूर्व नोटिस भी नहीं दिया गया था। इसके अलावा किसी पदोन्नत या नियमित कर्मचारी के आने की परिस्थिति भी नहीं थी। इसके बावजूद बीते 12-14 वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को अचानक हटा दिया गया है जो गलत है।
अधिवेशन में उठेगा मुद्दा
आगामी सात अप्रैल को हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज में उपनल कर्मचारियों का अधिवेशन होने जा रहा है। उस अधिवेशन में कर्मचारी इस मुद्दे को उठाएंगे और सरकार तक इस बात को पहुंचाएंगे कि आखिर कोर्ट में मामला होने के बाद भी कर्मचारियों को क्यों हटाया गया।
राज्यकर कार्यालयों से 50 उपनल कर्मचारी हटाए
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