Sunday, November 24, 2024
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मसालों में महंगाई की मार ने बिगाड़ा रसोई का जायका

हल्द्वानी। बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। रसोई गैस सिलिंडर, खाद्य तेल और आटे-दाल के साथ ही मसालों पर भी महंगाई की मार पड़ने लगी है। रसोई का जायका बढ़ाने वाले मसालों के दाम में 25 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। मसालों के दामों में हुई बढ़ोत्तरी का सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ रहा है।
रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले मसालों की कीमत सातवें आसमान पर पहुंच गई है।
काली मिर्च के दाम में 25 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है तो जीरे के दाम में 30 फीसदी तक उछाल आया है। इसी तरह छोटी इलायची, बड़ी इलायची, जायफल, तेजपत्ता और लाल मिर्च के दामों में भी इजाफा हुआ है। मसाला विक्रेता सत्य नारायण गुप्ता ने बताया कि जो काली मिर्च पहले 800 रुपये किलो मिल रही थी उसकी कीमत बढ़कर 1000 रुपये किलो हो गई है। इसी तरह 4000 रुपये किलो मिल रही छोटी इलायची की कीमत 5000 रुपये किलो पहुंच गई है।
मसाले पहले के दाम (किलो में) दाम (किलो में)
काली मिर्च 800 1000
छोटी इलायची 4000 5000
बड़ी इलायची 2200 2500
जायफल 900 1000
जीरा 270 350
तेजपत्ता 70 80
लाल मिर्च 260 280
महंगाई से फलों का स्वाद भी हुआ फीका
खरीद क्षमता कम होने के कारण लोगों ने भी बनाई दूरी

हल्द्वानी। महंगाई और कोरोना संक्रमण की मार के बीच लोग अपने पसंदीदा फलों का स्वाद नहीं ले पा रहे हैं। इसके चलते लोगों ने महंगे फलों से भी दूरी बना ली है। फलों की बिक्री कम होने से कारोबारियों को भी खासा नुकसान हो रहा है।
हल्द्वानी मंडी में नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत और पौड़ी गढ़वाल से सेब, खुमानी, पुलम, आडू, नाशपाती आदि पहाड़ी फल पहुंचते हैं। दिल्ली और बरेली की मंडी से सेब, अंगूर, अनानास और आम आते हैं। खरबूजा और तरबूज राजस्थान, यूपी से आते हैं। पिछले कुछ सालों में हल्द्वानी मंडी में फलों की आवक लगातार कम हो रही है। वर्ष 2018-19 में हल्द्वानी मंडी में 351022 क्विंटल फलों की आवक रहीं, जो 2019-20 में घटकर 318150 क्विंटल पर सिमट गई। 2020-21 में 292447 क्विंटल फल ही बिक्री के लिए मंडी में पहुंचे। इसी तरह 2021-22 में 298520 क्विंटल फल मंडी में बिकने के लिए पहुंचे। फलों की बिक्री कम होने से मंडी में फलों की आवक भी कम रही।
कोट
महंगाई की मार फलों के कारोबार पर भी पड़ रही है। 40 फीसदी तक फल कारोबार में कमी आई है। आम आदमी की क्रय क्षमता कम होने के कारण फलों की बिक्री प्रभावित हुई है। – कैलाश जोशी, अध्यक्ष, फल एवं सब्जी आढ़ती एसोसिएशन
पेट्रोल-डीजल और गैस सिलिंडरों के भी बढ़े दाम

  • एक बार पेट्रोल-डीजल के तो दो बार बढ़े व्यावसायिक सिलिंडर के दाम
    हल्द्वानी। अप्रैल की पांच तारीख को पेट्रोल के दाम बढ़कर 102.93 रुपये हो गए। साथ ही डीजल के दाम भी 96.62 रुपये पहुंच गए थे। चूंकि रोजमर्रा के जीवन में वाहनों की उपयोगिता के चलते डीजल-पेट्रोल की खपत तो रहनी थी। बढ़ते दामों के बावजूद भी मरता क्या न करता वाली स्थिति से लोग जूझ रहे हैं। एक तरफ पेट्रोलियम पदार्थों के दामों ने आम आदमी की जेब पर डाका डाला वहीं व्यावसायिक सिलिंडरों की बढ़ी दरों ने भोजन बिक्री करने वाले लघु होटल संचालकों से लेकर बड़े रेस्टोरेंट संचालित करने वालों की कमर तोड़ दी। व्यावसायिक सिलिंडरों के एक महीने में दो बार दाम बढ़ाए गए। वर्तमान में 19 किग्रा के व्यावसायिक सिलिंडर की कीमत 2408 रुपये है। इसके बाद आम आदमी को घरेलू सिलिंडरों के दामों में वृद्धि का डर सताने लगा है।
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