Friday, November 1, 2024
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प्रथम दो बालक अथवा बालिकाओं के जन्म पर किट दी जाएगी, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास रेखा आर्य ने दिए निर्देश

महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से निकट भविष्य में प्रथम दो बालक अथवा बालिकाओं के जन्म पर किट दी जाएगी। विधानसभा स्थित कार्यालय में हुई समीक्षा बैठक में विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए।
अभी तक महालक्ष्मी किट योजना के तहत प्रथम दो बालिकाओं के जन्म पर महालक्ष्मी किट दी जा रही है। विभागीय मंत्री ने बालक अथवा बालिका, दोनों को किट का लाभ दिलाने के मद्देनजर योजना का नाम बदलने का प्रस्ताव तैयार करने को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह योजना लागू कर दी जाएगी।
योजनाओं और उनकी प्रगति के बारे में जानकारी ली
कैबिनेट मंत्री आर्य ने समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों से महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास से जुड़ी योजनाओं और इनकी प्रगति के बारे में जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को हिदायत दी कि वे जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि कोई भी पात्र लाभार्थी योजना के लाभ से वंचित न रहने पाए। उन्होंने कहा कि किसी भी योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। विभागीय मंत्री ने नारी निकेतन में रह रही मानसिक व शारीरिक रूप से दिव्यांग महिलाओं के रहन-सहन, स्वास्थ्य और खान-पान की व्यवस्था की जानकारी भी ली। साथ ही व्यवस्था को अधिक सशक्त बनाने और नारी निकेतन में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ संवासिनियों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2020-21 और 2021-22 में नंदा-गौरा योजना में जो बालिकाएं लाभ लेने से छूट गई हैं, उनके लिए आगामी बजट में प्रविधान कर लिया जाए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ताओं के माध्यम से अधिक से अधिक बालिकाओं को स्वच्छता के लिए प्रेरित करने के साथ ही सेनेटरी पैड उपलब्ध कराए जाएं। आंगनबाड़ी कर्मियों को इसके लिए प्रोत्साहन राशि भी निर्धारित की गई है। पोषण अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और छह वर्ष तक के बच्चों को दूध, केला, अंडा समेत उच्च गुणवत्तायुक्त आहार उपलब्ध कराया जाए। साथ ही हिदायत दी कि इसमें किसी भी प्रकार की शिकायत न आने पाए।
स्वयं प्रमाणित कर सकेंगे स्वजन
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का जिक्र करते हुए कैबिनेट मंत्री आर्य ने कहा कि यह योजना 31 मार्च को समाप्त हो चुकी है। कोविडकाल में कोरोना से माता-पिता व अभिभावक खोने वाले जो बच्चे इसमें आवेदन करने से वंचित रह गए हैं, उन्हें दो माह का समय दिया गया है। कुछ मामले ऐसे भी आए हैं, जिसमें कोरोना से मृत्यु का प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं हो पाया। ऐसे मामलों में मृतक व्यक्ति के स्वजन शपथपत्र देकर स्वयं यह प्रमाणित कर सकेंगे। इस बारे में जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए जाएंगे।

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