अल्मोड़ा। कोसी नदी और उसमें जलापूर्ति करने वाले गाड़, गधेरों और धारों को संरक्षित एवं संवर्धित करने, कोसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत जीआईसी खूंट और स्यालीधार में गोष्ठी का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया गया। वक्ताओं ने कहा कि जंगलों की आग जल स्रोतों और जैव विविधता के लिए बड़ा खतरा है जिसके प्रति सभी को सचेत रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य उपकेंद्र सूरी के फार्मासिस्ट गजेंद्र पाठक ने कहा कि वर्षा जल को भूजल में बदलने की जंगलों की क्षमता में लगातार गिरावट आ रही है जो जल स्रोतों के सूखने का बड़ा कारण है। मिश्रित जंगलों के अनियंत्रित और अवैज्ञानिक दोहन, जंगलों में आग लगने की घटनाओं में निरंतर वृद्धि और बर्फबारी में गिरावट के कारण कोसी नदी और उसमें जलापूर्ति करने वाले गाड़, गधेरों और धारों में जलस्तर लगातार कम हो रहा है जो चिंताजनक है। यदि जल स्रोतों को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले समय में भीषण जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
वन बीट अधिकारी कुबेर चंद्र ने स्याही देवी शीतलाखेत क्षेत्र में जनता की ओर से जंगलों को बचाने के प्रयासों की सराहना की। महिला मंगल दल धामस की अध्यक्ष गंगा देवी ने जंगलों को आग से सुरक्षित रखने में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। कहा कि 31 मार्च से पूर्व ओण जलाने की कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी। इस मौके पर आनंद सिंह, वन बीट अधिकारी इंद्रा मर्तोलिया, जीआईसी स्यालीधार के प्रधानाचार्य उमेश चंद्र पांडे, चेतना त्रिपाठी, शोभा नगरकोटी, सीसी जोशी, अंजलि प्रसाद, कविता मेहता, कमला देवी, भगवती बिष्ट, मुन्नी देवी, अनीता देवी आदि मौजूद रहे।
जंगलों की आग जल स्रोतों और जैव विविधता के लिए बढ़ा खतरा
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