लोहाघाट (चंपावत)। इन दिनों नगर में काफल की भरमार हो गई है। आसपास के कई गांवों से रसीले काफल बाजार में पहुंच रहे हैं। इससे काफल के दामों में कमी आने के कारण इनकी मांग काफी बढ़ने लगी है।
कोयाटी, गल्लागांव, बलांई, फोर्ती गांवों से लोग लोहाघाट बाजार में काफल बिक्री के लिए लाए जा रहे हैं। काफल विक्रेता गोपाल पुनेठा, गिरीश बगौली, दीपक बगौली, पुष्कर, उमेश उपाध्याय, नारायण दत्त कलखुड़िया आदि का कहना है कि इस वर्ष पिछले वर्ष से कम काफल बाजार में पहुंच रहा है। उनका कहना है कि शुरुआती दौर में काफल 200 रुपये किलो तक बिका लेकिन आपूर्ति बढ़ने पर अब यह 80 से लेकर 100 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है। काफल विक्रेता गिरीश बगौली का कहना है कि लोहाघाट से गंगोलीहाट, पिथौरागढ़, टनकपुर, खटीमा आदि स्थानों के लिए काफल भेजा जा रहा है। मांग अधिक होने के चलते कभीकभार आपूर्ति करना मुश्किल हो जा रहा है। इस वर्ष ओलावृष्टि और अंधड़ कम चलने से जंगलों में काफल की अच्छी फसल है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए काफल आमदनी का अच्छा जरिया बना है। करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले काफल के सीजन में एक व्यक्ति रोजाना करीब 800 से 1200 रुपये तक के काफल बेच रहा है। गांवों में कई लोग काफल तोड़ने में जुटे हैं। लोगों का कहना है कि काफल बेचकर बच्चों की फीस, कपड़ों, राशन का खर्चा निकल जाता है।
ताजे रसीले काफलों से गुलजार है लोहाघाट बाजार
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