दिल्ली हाईकोर्ट ने यमन में एक भारतीय महिला निमिषा प्रिया को हत्या के दोष से मुक्त करने के लिए शरिया कानून के तहत दियाह की रकम (ब्लड मनी) चुकाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने से इनकार कर दिया। सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल नामक संगठन की याचिका में कहा गया था कि मौत की सजा पाई निमिषा के मामले को केंद्र सरकार देखे। सुनवाई में कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी व जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने कहा कि याचिका में मेरिट नहीं है। इससे पहले एकल जज की पीठ ने भी पिछले महीने ऐसी ही एक याचिका खारिज की थी। ताजा सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पूछा, याची क्या चाहते हैं? उन्हें खुद जा कर वार्ता करनी चाहिए। कौन उन्हें रोक रहा है? उन्हें खुद मृतक के परिवार से बातचीत करनी चाहिए। दियाह की रकम मृतक के परिवार को दी जाती है।
मामला ऐसा है…
निमिषा प्रिया यमन में नर्स थीं। उन पर यमन के एक मुस्लिम नागरिक तलाल अब्दो महदी की जुलाई 2017 में हत्या करने का आरोप लगा। याची के अनुसार महदी ने फर्जी दस्तावेज बना निमिषा को अपनी पत्नी दर्शाया, उसका शोषण व पिटाई करता था। उसका पासपोर्ट भी अपने कब्जे में रखा हुआ था, जिसे पाने की कोशिश में निमिषा ने महदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया। डोज ज्यादा होने से उसकी मौत हो गई। इसके लिए 2020 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई। उसके पास यमन की सुप्रीम कोर्ट में अपील का अवसर बचा है।
हाईकोर्ट ने कहा- हत्या के दोष से मुक्ति के एवज में पैसा चुकाने के लिए सरकार से नहीं कह सकते
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