हिमाला का ऊंचा डाना प्यारो मेरो गांव.., कैले बजै मुरूली ओ बैंणा.., भुर भूरू उज्यावो हैगो.. मेरी बाना होसिया ओ सुवा ओ.., जा चेली जा सौरास.. व आज मंगना आयो रि तेरो सजना.. जैसे लोकगीतों के मधुर स्वर आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में गूंजते हैं। ये वो रचे-बसे गीत हैं जो उत्तराखंड ही नहीं वरन देश के कोने कोने में पहाड़ की माटी की सुगंध महका देते हैं। ऐसे तमाम मधुर गीतों को आवाज देने वाले प्रसिद्ध लोकगायक सुर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी थे।
बेशक सुरीली आवाज के धनी गोपाल बाबू गोस्वामी आज हमारे बीच नहीं हैं, उनके गीतों के मधुर स्वर आज भी पहाड़ वासियों के दिलों में रचे बसे हैं। ऐसे महान लोक कलाकारों को सरकार व नेता तो भूल गए हैं, मगर विकास खंड के रंगीली धरती बैराठेश्वर चांदीखेत में प्रतिवर्ष दो फरवरी को उनकी जयंती मनाई जाती है।
गोपाल बाबू का जन्म अल्मोड़ा जनपद अंतर्गत रंगीली गेवाड़ की माटी चांदीखेत गांव में 02 फरवरी 1942 को हुआ। तब गांवों में गरीबी का दौर था, यही कारण रहा कि वे कक्षा-5 तक ही पढ़ाई कर पाए। बचपन से ही संगीत के प्रति लगाव होने से उन्होंने इस क्षेत्र में कदम बढ़ाया। धीरे-धीरे अपनी सुरीली व मधुर आवाज की बदौलत मुकाम हासिल कर लिया। उन्होंने कई पहाड़ी गीतों की रचना कर उन्हें स्वर दिए। दिलों को छू देने वाले उनके कई गीत आकाशवाणी लखनऊ से भी प्रसारित होने लगे। इसके बाद गोपाल बाबू ने कई और आयाम हासिल किए।
बाद में वे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के गीत व नाट्य विभाग में भर्ती हो गए। अपनी आवाज का जादू बिखेर कर उन्होंने विभाग में खास पहचान बना ली तथा आमजन उनके गीतों के दीवाने हो गए। इस दौरान पहाड़ी गीतों के उनके अनेक कैसेट बाजार में रिलीज हुए। जिन्होंने पहाड़ में धूम मचा दी तथा उनके गीत लोगों के बीच छा गए। एक के बाद एक गीतों को उन्होंने अपनी आवाज दी।
बारात विदाई के दौरान गाए जाने वाले गीत यथा-ओ मंगना आज आयो रि तेरो सजना.., जा चेलि जा सौरास.., बाट लागि बरात चेलि बैठ डोलिमा.. जैसे विरह गीत सुनकर लोगों के आंसू छलक उठते हैं। देवी बराही मेरी सेवा लिया.. वंदना गीत आज भी यत्र-तत्र सुनते को मिलता है। गोपाल बाबू ने गीतों पर आधारित कई पुस्तकें भी लिखी हैं। जिनकी बाजार में काफी मांग है। आज मनाई जाएगी उनकी जयंती
सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी की 80वीं जयंती आज दो फरवरी को बैराठ नगरी के बैराठेश्वर महादेव मंदिर परिसर में कोविड़ गाइड लाइन के चलते सादे कार्यक्रम के साथ मनाई जाएगी। इस दौरान श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका भावपूर्ण स्मरण किया जाएगा। संगीत का भव्य कार्यक्रम नहीं होगा। उभरते लोक कलाकार रमेश बाबू गोस्वामी ने सभी से श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पहुंचने की अपील की है।
हिमाला का ऊंचा डाना प्यारो मेरो गांव..
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