रानीखेत (अल्मोड़ा)। दैना गांव में तेंदुए के आतंक से लोग परेशान हैं। वन विभाग ने शिकारी सहित तीन टीमों को वहां गश्त के लिए तैनात किया हुआ है। शनिवार को तेंदुए की खोज में तीनों टीमें अलग अलग क्षेत्रों में गश्त करती रहीं लेकिन तेंदुए का कोई सुराग नहीं लग सका। शिकारी राजीव सोलोमन ने बताया कि आदमखोर होने के बाद तेंदुआ चालाक हो जाता है और जगह बदलता है। तेंदुए के हिसाब से ही टीमों को तैनात किया गया है। फिलहाल शनिवार को कोई गतिविधि नहीं दिखी। दैना गांव में वृद्ध को निवाला बनाने के बाद तेंदुए को नरभक्षी घोषित कर दिया गया है और वहां शिकारियों को भी तैनात कर दिया गया है लेकिन चार दिन बाद भी तेंदुए की लोकेशन नहीं मिल सकी है। मुरादाबाद से शिकारी राजीव सोलोमन और उनकी टीम वहां गश्त कर रही है। वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए दो पिंजरे भी लगाए हैं। वन विभाग की प्राथमिकता है कि तेंदुआ पिंजरे में फंस जाए, वहां कैमरे भी लगाए गए हैं और ड्रोन की भी मदद ली जा रही है।
मुरादाबाद से पहुंचे शिकारी राजीव सोलोमन ने बताया कि आदमखोर होने के बाद तेंदुआ बेहद चालाक हो जाता है वह अपना स्थान बदलता रहता है। इसलिए उसकी ढूंढखोज को तीन टीमें तैनात की गई हैं। वन विभाग की टीम अलग से तैयारी कर रही हं लेकिन फिलहाल कोई गतिविधि नहीं मिल पा रही है। आदमखोर को उसी के जाल में फांसने के लिए ही टीमें बुलाई गई हैं। बता दें कि कुछ दिन पूर्व तेंदुए ने दैना गांव में बुजुर्ग मोहन राम को निवाला बना लिया था। इसके बाद से ही गांव में दहशत का माहौल है और लोग अकेले बाहर निकलने से भी डर रहे हैं। बीडीसी सदस्य दीपक कन्नू साह, पूर्व बीडीसी सदस्य राजेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि क्षेत्र में तेंदुए का आतंक लंबे समय से चल रहा है। बार-बार वन विभाग को सूचना देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मोहन राम को निवाला बनाने के रूप में उसकी परिणति हुई। उन्होंने कहा कि तेंदुए को पकड़ना और मारना जरूरी है, वह नरभक्षी हो चुका है, भविष्य में किसी और को भी निवाला बना सकता है। उन्होंने नरभक्षी तेंदुए के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।
दैना गांव में नहीं दिखे आदमखोर तेंदुए के निशान
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