विकासखंड पुरोला के खड़क्यासेम गांव में एक करोड़ से अधिक की लागत से बना मिनी सचिवालय हस्तांतरण से पहले ही जर्जर हो गया है। निर्माण के 12 वर्ष बाद भी उक्त भवन ग्राम पंचायत के सुपुर्द नहीं किया गया है। भवन के खिड़की, दरवाजे टूटने लगे हैं। बावजूद इसकी सुध लेने को कोई भी अधिकारी तैयार नहीं है। वर्ष 2010 में खड़क्यासेम गांव में करीब 1 करोड़ 25 लाख की लागत से एक मिनी सचिवालय व आवासीय भवन का निर्माण किया गया था। सचिवालय का उद्देश्य न्याय पंचायत खड़क्यासेम के 14 ग्राम पंचायतों को इससे जोड़कर ग्रामीणों के जाति, आय, स्थाई, मूल निवास प्रमाणपत्र एवं भूमि की खतौनी आदि यहीं से निर्गत की जानी थी। भाजपा की निशंक सरकार के समय में प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर अटल मिनी सचिवालय खोलने का निर्णय लिया गया था। जिसमें विकासखंड में 75-75 लाख रुपए की लागत से गंगनाणी, तुनाल्का व धारी क्षेत्र में मिनी सचिवालय का निर्माण किया गया। लेकिन सरकार बदलते ही यह योजना भी उद्देश्य से भटक गई।
शराब व जुए का बना अड्डा
पूर्व प्रधान भद्राली राजपाल पंवार का कहना है कि उनके कार्यकाल में यह मिनी सचिवालय बना था। इन्हें प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर बनाया जाना था, लेकिन भूमि उपलब्ध न होने के कारण अन्य न्याय पंचायतों में ये बन नहीं पाए। यहां खड़क्यासेम के ग्रामीणों ने इसके निर्माण हेतु अपनी कृषि भूमि दान की थी। लेकिन आज यह लावारिस पड़े होने के कारण यह शराबियों एवं जुआरियों का अड्डा बना चुका है न्याय पंचायत स्तर के जो कर्मचारी हैं, उनको वहां निवासरत रहना चाहिए था। लेकिन वे सभी स्थानीय होने के कारण वहां नहीं रहते हैं, जिससे भवन की देखभाल भी नहीं हो रही है। भवन को ग्राम पंचायत को हस्तानांतरित करने के संबंध में मुझे जानकारी नही है। – पीआर सकलानी खंड विकास अधिकारी पुरोला।
विकासखंड नौगांव के गंगनाणी, तुनाल्का व धारी क्षेत्र में बने मिनी सचिवालय भी लावारिस पड़े हुए हैं। गंगनाणी में बने मिनी सचिवालय में एसडीआरएफ के जवान निवास कर रहे हैं। जिससे सरकार की मिनी सचिवालय निर्माण की योजना पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
करोड़ों की लागत से बना मिनी सचिवालय शुरू होने से पहले हुआ बदहाल
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