Wednesday, October 30, 2024
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फसल उगाने के लिए अब जमीन जोतने की नहीं होगी जरूरत, इस प्रयोग से तैयार की गई है सब्जियां

फसल उगाने के लिए अब जमीन जोतने की जरूरत नहीं होगी। बेतहाशा पानी की जरूरत भी खत्म। छोटी जगह पर साल में तीन बार फसल पैदा की जा सकेगी। पैदावार भी जमीन पर उगने वाली फसल के मुकाबले अधिक होगी। केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्यागिक विभाग (डीएसटी) की ओर से मिला प्रोजेक्ट झाझरा स्थित यूकॉस्ट में तैयार हो गया है। यहां कई फसलों की पैदावार की जा रही है। देशभर में इसका प्रयोग करने के बाद किसानों को इसकी सौगात मिलेगी।
क्या है तकनीकी, कैसे बढ़ेगी आय
यूकॉस्ट में सौर ऊर्जा आधारित ग्रीन हाउस हाइड्रोपोनिक प्लांट तैयार किया गया है। इसे अत्याधुनिक पॉली हाउस कह सकते हैं। इसमें फसल उगाने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं है। केवल 25 प्रतिशत पानी की मदद से ही फसल तैयार की जा सकती है। पानी के पाइप में पौधे लगाए जाते हैं। इस पाइप से रोजाना पोषक तत्वों से भरपूर पानी गुजारा जाता है, जो जड़ों को छूकर वापस चला जाता है। जड़ों से पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व मिल जाते हैं और पानी रिस्टोर हो जाता है। ज्यादा तेज धूप होने पर यहां लगे पर्दे स्वत: ही ऊपर आ जाते हैं, जिससे तापमान सामान्य हो जाता है। वहीं ठंड ज्यादा होने पर सोलर हीटर चल जाते हैं। इसे कंप्यूटर के माध्यम से चलाया जा सकता है। एंड्रायड मोबाइल ऐप भी तैयार किया गया है, जिसमें पूरी जानकारी मिलती है।
साल में तीन फसलें पैदा होंगी
आमतौर पर किसान साल में दो फसलें पैदा करता है। पैदावार भी मिट्टी और इसमें की गई मेहनत व दिए गए पोषक तत्वों पर निर्भर करती है, लेकिन इस तकनीकी से साल में तीन फसलें पैदा हो सकेंगी। यहां जो फसलें पैदा होंगी, उनकी पैदावार भी ज्यादा होगी। आमतौर पर एक वर्ग मीटर जमीन पर 10 किलो टमाटर होता है तो इस तकनीकी से 20 से 25 किलो फसल होगी। किसानों की आय बढ़ जाएगी।
अभी इनकी हो रही पैदावार
चेरी टमाटर, महंगे सलाद में इस्तेमाल होने वाला लेप्यूस, पोषक तत्वों से भरपूर पालक, खीरा और रंगीन शिमला मिर्च।
देशभर में परखी जाएगी तकनीकी, गांवों तक पहुंचाएंगे जानकारी
डीएसटी के सलाहकार प्रवीन अरोड़ा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की। ‘अमर उजाला’ से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब अगले चरण में बिना सौर ऊर्जा इस तकनीकी को आगे बढ़ाने पर काम होगा। नई फसलों खासतौर से फ्लोरिकल्चर का स्कोप तलाशा जाएगा। उन्होंने बताया कि अब इसका ट्रायल जम्मू कश्मीर के ठंडे इलाकों में किया जाएगा। किसानों को साथ जोड़कर उन्हें खेत, घर में इस तकनीकी से सब्जियां उगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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