Tuesday, December 10, 2024
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नजूल विधेयक को लेकर अब राष्ट्रपति पर टिकी नजर

उत्तराखंड में नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने संबंधी विधेयक को लेकर अब नजर राष्ट्रपति भवन पर टिक गई है। राजभवन ने ‘उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक-2021’ सहमति के लिए राष्ट्रपति को भेज दिया है। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा सत्र में यह विधेयक पारित कराया था। नगर निकायों के अंतर्गत नजूल भूमि पर काबिज व्यक्तियों को मालिकाना हक देने के लिए वर्ष 2018 में तत्कालीन त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल ने नजूल नीति को मंजूरी दी थी। इस बीच हाईकोर्ट ने नजूल नीति को निरस्त कर दिया था। पिछले वर्ष इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद धामी कैबिनेट ने नजूल नीति-2021 को हरी झंडी दी। नीति में नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने के लिए तीन श्रेणियां बनाकर सर्किल रेट के आधार पर शुल्क तय किए गए। इसके बाद धामी सरकार ने नजूल भूमि के बेहतर प्रबंधन, पट्टेधारकों के हित सुरक्षित करने और नजूल भूमि पर काबिज व्यक्तियों को राहत देने के लिए ‘उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक 2021Ó दिसंबर में हुए विधानसभा सत्र में पारित कराया। विधेयक में स्पष्ट किया गया कि फ्री होल्ड के लिए पूर्व में धनराशि जमा करा चुके व्यक्तियों से दोबारा राशि नहीं ली जाएगी। स्वमूल्यांकन के आधार पर 25 प्रतिशत धनराशि जमा करा चुके कब्जाधारकों के लिए पुरानी दरें लागू होंगी। नए आवेदन पर वर्तमान सर्किल रेट लागू होगा। विधेयक में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी में आने वाले परिवारों को 50 वर्ग मीटर तक आवासीय भूमि को मुफ्त फ्री होल्ड कराने की सुविधा का प्रविधान किया गया। विधेयक के अनुसार पट्टेदार और उनके विधिक उत्तराधिकारी एवं क्रेता अपनी काबिज भूमि को फ्री होल्ड कराने के लिए पात्र होंगे। विभागों को नजूल भूमि मुफ्त आवंटित की जाएगी। नामित व्यक्ति के पक्ष में फ्री होल्ड की सुविधा अनुमन्य नहीं होगी। नजूल भूमि पर अवैध कब्जे की कट आफ डेट नौ नवंबर 2011 निर्धारित की गई है।
इस विधेयक के पारित होने के बाद विधानसभा से इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया। सूत्रों के अनुसार राजभवन ने मंथन के बाद यह विधेयक सहमति के लिए राष्ट्रपति को भेज दिया। ऐसे में विधेयक पर निर्णय को लेकर नजर राष्ट्रपति भवन पर टिक गई है। सूत्रों ने यह भी बताया कि वर्तमान में नजूल नीति लागू है, जिसके आधार पर कार्य चलते रहेंगे। विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद शासन इसकी समीक्षा करेगा।

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