राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम)और स्वास्थ्य महानिदेशालय के बीच सामंजस्य न होने से दोहरी व्यवस्था लागू हो गई है। स्वास्थ्य की एक ही योजना के लिए दोनों ने अलग अलग नोडल अफसर तैनात कर दिए हैं। इससे विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में दिक्कत आ रही है। दरअसल स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को संचालित करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है।जबकि इसमें सहयोग और फंडिंग की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को दी गई है। पहले तो एनएचएम स्वास्थ्य महानिदेशालय को फंड देकर केवल फंडिंग एजेंसी के रूप में काम कर रहा था। लेकिन पिछले कुछ सालों से एनएचएम ने अपनी योजनाओं को खुद ही संचालित करना शुरू कर दिया है। एनएचएम के तहत अभी तक राज्य में पांच हजार के करीब कर्मचारियों की तैनाती हो चुकी है।
स्वास्थ्य महानिदेशालय में जिस योजना को संचालित करने के लिए पहले से ही निदेशक, अपर निदेशक, संयुक्त निदेशक हैं। उन्हीं कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए एनएचएम में भी कार्यक्रम अधिकारी तैनात कर दिए गए हैं। यह हाल केवल महानिदेशालय के स्तर पर नहीं है बल्कि जिलों में भी यह व्यवस्था बन गई है। यह समस्या केवल उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में है। एनएचएम ने अलग ढांचा खड़ा कर लिया है जिससे स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में दिक्कत आ रही है। हमारा प्रयास रहेगा कि इस समस्या का समाधान किया जाए। अधिकारियों को ठोस कदम उठाने को कहा गया है।
डॉ धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री
ऐसे होगा मरीजों का इलाज! एनएचएम-स्वास्थ्य महानिदेशालय के बीच सामंजस्य की कमी
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