एनसीईआरटी का स्लेबस लागू होने की वजह स्कूली किताबों से गायब हुई उत्तराखंड की जानकारियां एक बार फिर लौटेंगी। एनसीईआरटी के निदेशक डॉ. डीपी सकलानी ने राज्य के अधिकारियों को स्थानीय सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक परिवेश की जानकारी देने वाले पाठ भी तैयार करने के निर्देश दिए।
वर्ष 2018 में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू हो गया था। इसमें राज्य से संबंधित जानकारियां न के बराबर हैं। डॉ. सकलानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा के लिए देश के राज्यों का दौरा कर रहे हैं। शनिवार को उन्होंने ननूरखेड़ा स्थित सीमेट सभागार में उत्तराखंड की तैयारियों की जानकारी ली।
महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी ने राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में किए नए प्रयोगों की विस्तार से जानकारी दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्राप्त निर्देशों के अनुसार तेजी से काम जारी है। बैठक में निदेशक-एआरटी आरके कुंवर, माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी, बेसिक शिक्षा निदेशक वंदना गरब्याल, एडी-एससीईआरटी डॉ. आरडी शर्मा, एपीडी डॉ. मुकुल कुमार सती, उपनिदेशक प्रदीप रावत, केएन बिजल्वाण, डॉ. मोहन बिष्ट आदि मौजूद रहे। शैक्षिक के साथ छात्रों को व्यवहारिक ज्ञान भी जरूरी: एनसीईआरटी के निदेशक डॉ. डीपी सकलानी ने कहा कि स्कूल में शैक्षिक के साथ व्यवहारिक ज्ञान के विकास पर भी जोर दिया। बैठक से पहले मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राज्यों को एससीएफ तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।
सभी राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की जा रही है। जल्द से जल्द से इसे पूर्ण रूप से लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। छात्रों को वेल्यू एजुकेशन दिए जाने की जरूरत है। स्कूलों में केवल छात्र के शैक्षिक विकास को ही पैमाना नहीं माना जाना चाहिए। बल्कि व्यवहारिक विकास पर भी फोकस करना होगा।
स्कूलों की किताबों में फिर लौटेगा ‘उत्तराखंड’,एनसीईआरटी स्लेबस में होगा लागू
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