पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती.. बस प्रेरणा मिलनी चाहिए। चाहे कहीं से मिले.. नंदा देवी की गुड्डी देवी को यह प्रेरणा अपने बच्चों से मिली। आठवीं के बाद पारिवारिक कारणों ने पढ़ाई नहीं कर पाई गुड्डी शादी के बाद घर-गृहस्थी में ऐसी फंसी कि बीस साल तक वह किताबों को सिर्फ अपने बच्चों के बस्तों में और उनकी पढ़ाई की टेबल पर ही देखती रही। किताबों को देख उसकी आंखों में उभरती चमक को उसके बेटों ने ही महसूस किया। पढ़ाई की ललक को प्रोत्साहन दिया.. तैयारी भी करवाई। नतीजा यह कि इस साल गुड्डी उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा दे रही हैं। हिंदी का पहला पेपर अच्छा गया है। 21 मार्च को विज्ञान का पेपर है जिसकी पूरी तैयारी है। उसके बेटे भी साथ में ही परीक्षा दे रहे हैं।
1996 में पास की थी आठवीं
भेटी गांव निवासी गुड्डी देवी पत्नी शिवलाल ने अपने मायके थराली ब्लॉक के रतगांव से आठवीं की परीक्षा वर्ष 1996 में पास की थी। उसके बाद शादी हो गई और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वह अपनी पढ़ाई को जारी नहीं रख पाईं। उसके दो बेटे हैं अंशुल और अंकुश। बेटे बड़े हुए तो उन्होंने मुझे फिर से पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित किया। शुरू में मैंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया लेकिन बच्चे लगातार मुझे इसके लिए प्रेरित करते रहे। जिसके बाद उन्होंने इस साल दसवीं की परीक्षा के लिए आवेदन किया। उन्होंने बताया कि बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ मेरी भी तैयारी करवाते रहे। अपने साथ मुझे भी पढ़ाया। पति ने भी पूरा सहयोग किया। जिसके चलते वह इस साल दसवीं की परीक्षा दे पा रही हैं। बड़ा बेटा अंशुल भेटवाल (18 साल) इंटरमीडिएट और छोटा बेटा अंकुश भेटवाल (17 साल) दसवीं की परीक्षा दे रहा है। नंदानगर के राजकीय आदर्श इंटर कॉलेज बांजबगड़ में उसका परीक्षा केंद्र है। वर्तमान में वे मिनी आंगनबाड़ी भेंटी में भी काम कर रही है।
पांच किमी दूर आते हैं परीक्षा देने
भेंटी गांव से जीआईसी बांजबगड़ करीब पांच किमी दूर है। दोनों बच्चे यहीं पढ़ने आते हैं। अब परीक्षा केंद्र भी इसी विद्यालय में बनाया गया है तो परीक्षा देने के लिए मां और बेटे साथ में आ रहे हैं। शुक्रवार को गुड्डी ने हिंदी का पेपर दिया। गुड्डी ने बताया कि हिंदी का पेपर अच्छा गया है यदि आगे भी ऐसे ही पेपर आए तो परीक्षा उत्तीर्ण कर लूंगी।
शुरू में हल्की घबराहट थी अब अच्छा लग रहा
गुड्डी देवी ने बताया कि इतने सालों से वह स्कूल से दूर रहीं। ऐसे में पहले दिन पेपर देने के लिए आते समय वह कुछ नर्वस थीं। बच्चे लगातार प्रेरित कर रहे थे। पहला पेपर पूरा होने पर काफी अच्छा लग रहा है। यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि नंदानगर की गुड्डी देवी बोर्ड परीक्षा दे रही हैं। सभी माताओं के लिए यह संदेश है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है। गुड्डी अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। – कुलदीप गैरोला, मुख्य शिक्षा अधिकारी, चमोली
बच्चों ने प्रेरित किया तो 40 वर्षीय गुड्डी ने दिखाया हौसला, दो बेटों संग दे रहीं 10वीं की परीक्षा
RELATED ARTICLES