अमूमन शिव मंदिरों में शिव की पूजा लिंग रूप में होती है। लेकिन बैजनाथ मंदिर में शिव व पार्वती मूर्ति रूप में विराजमान हैं। यहीं कारण है कि बैजनाथ मंदिर का विशिष्ट स्थान है। महाशिवरात्रि पर्व पर दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं। जलाभिषेक से उनकी प्रत्येक मनोकामना पूरी होती है।
स्कंदपुराण के मानसखंड में बैजनाथ का सुंदर वर्णन
बैजनाथ के पावन शिव मंदिर में मां पार्वती की पांच फुट की अष्टधातु से बनी सुंदर मूर्ति है। जो सजीव प्रतीत होती है। यहां शिव व पार्वती की मूर्तियों की पूजा एक साथ होती है। स्कंदपुराण के मानसखंड में बैजनाथ का सुंदर वर्णन किया गया है। जिसके अनुसार भगवान शंकर पार्वती से कहते हैं, हे पार्वती! तेरी व मेरी शादी भी यहीं हुई। जिसको देखने के लिए देव मंडली भगवान ब्रह्मा व विष्णु के साथ यहां आई। हमारे पुत्र कार्तिकेय ने यहीं जन्म लिया। इससे स्पष्ट होता है कि भगवान शंकर व पार्वती बैजनाथ में प्रकट हुए।
वर्षभर देश-विदेश से जल चढ़ाने आते हैं हजारों श्रद्धालु
महाशिवरात्रि पर्व पर यहां विशाल मेला लगता है। यहां वर्षभर देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं। यहां पूजा अर्चना से उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। कहा जाता है कि हर्षवर्धन के समय में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग भी इसी स्थान पर आया था। जिसका वर्णन इतिहास में लिपिबद्ध है। पत्थरों की उत्कृष्ट तराशी, बिना गारे के पत्थरों के अद्भुत संयोजन से बना बैजनाथ मंदिर का धार्मिक, तीर्थाटन व पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान है।
कांवड़ियों का हुआ स्वागत, तैनात रही पुलिस
महाशिवरात्रि पर्व के लिए हरिद्वार से गंगाजल लेकर आ रहे कांवड़ियों का रुद्रपुर में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह किया। साथ ही भंडारे का भी आयोजन किया गया। इस दौरान यातायात व्यवस्था बनाने के लिए यातायात, सीपीयू के साथ ही पुलिस कर्मी तैनात रहे। महाशिवरात्रि पर यहां शिवालयों और मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई। डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
जहां हुआ भगवान शिव-पार्वती का विवाह, वहीं कार्तिकेय ने लिया था जन्म; पूरी होती है मनोकामना
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