Sunday, November 9, 2025
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भारत बना ब्राजील के उष्णकटिबंधीय वन कोष का पर्यवेक्षक, विकसित देशों से जलवायु जिम्मेदारियां निभाने की अपील

बेलेम (ब्राजील) |
भारत ने जलवायु संरक्षण के क्षेत्र में एक और अहम कदम उठाते हुए ब्राजील की नई वैश्विक पहल ‘ट्रॉपिकल फॉरेस्ट्स फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF)’ में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल होने की घोषणा की है। यह पहल उष्णकटिबंधीय वनों की रक्षा और सतत विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बनाई गई है।

ब्राजील के बेलेम शहर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-30) के दौरान भारत ने पेरिस समझौते (Paris Agreement) के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने विकसित देशों से आग्रह किया कि वे कार्बन उत्सर्जन घटाने और जलवायु वित्तीय सहायता से संबंधित अपने वादों को निभाएं।


🌱 ब्राजील की पहल को भारत का समर्थन

ब्राजील में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने COP-30 सम्मेलन में कहा कि पेरिस समझौते की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत, उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयासों का पूर्ण समर्थन करता है।
उन्होंने कहा कि “टीएफएफएफ (TFFF) की स्थापना, वैश्विक जलवायु न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम है।”


⚖️ विकसित देशों से जिम्मेदारी निभाने की अपील

भारत ने सम्मेलन में कहा कि पेरिस समझौते के 10 साल बाद भी जलवायु परिवर्तन से निपटने की वैश्विक कोशिशें पर्याप्त नहीं हैं।
राजदूत भाटिया ने स्पष्ट कहा कि विकासशील देश जलवायु संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं, लेकिन विकसित देशों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने वैश्विक कार्बन बजट का असमान उपयोग किया है।
उन्होंने कहा —

“विकसित देशों को अब कार्बन उत्सर्जन कम करने और विकासशील देशों को पर्याप्त वित्तीय सहयोग देने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।”


💰 न्यायसंगत और रियायती जलवायु वित्त पर भारत का जोर

भारत ने एक बार फिर इस बात पर बल दिया कि जलवायु कार्रवाई समानता, राष्ट्रीय परिस्थितियों और साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए।
राजदूत भाटिया ने कहा, “पूर्वानुमानित, न्यायसंगत और रियायती जलवायु वित्त ही वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति की आधारशिला है।
भारत ने सम्मेलन में यह दोहराया कि साझा सहयोग और सतत विकास के बिना जलवायु न्याय संभव नहीं।


📅 COP-30 सम्मेलन और भारत की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-30) का आयोजन 10 से 21 नवंबर 2025 तक ब्राजील के बेलेम में किया जा रहा है।
यह सम्मेलन न केवल पेरिस समझौते की 10वीं वर्षगांठ को चिह्नित करता है, बल्कि 1992 के रियो अर्थ समिट की 33वीं वर्षगांठ की विरासत को भी याद दिलाता है।
भारत ने कहा कि यह अवसर वैश्विक जलवायु कार्रवाई पर पुनर्विचार करने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को मजबूत करने का है।


🇮🇳 भारत की प्रगति और ‘NDC 3.0’ की तैयारी

COP-30 में भारत ने अपनी घरेलू उपलब्धियों की जानकारी साझा की। अधिकारियों के अनुसार, भारत जल्द ही 2031–2035 की अवधि के लिए अपना तीसरा राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC 3.0) प्रस्तुत करेगा।
राजदूत भाटिया ने कहा कि भारत लगातार ऐसे कदम उठा रहा है, जिससे विकास के साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य पूरे हों।
उन्होंने बताया कि भारत ने अपने कई जलवायु लक्ष्यों को निर्धारित समय से पहले हासिल कर लिया है।


🔍 निष्कर्ष

भारत का ब्राजील के ‘ट्रॉपिकल फॉरेस्ट्स फॉरएवर फैसिलिटी’ में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होना, न केवल वैश्विक जलवायु कार्रवाई में उसकी सक्रिय भूमिका को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत आने वाले समय में विकसित देशों से जलवायु न्याय और वित्तीय जिम्मेदारी निभाने की दिशा में अपनी आवाज और बुलंद करेगा।

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