देहरादून, 11 नवंबर 2025:
आज से ठीक एक वर्ष पहले, 11 नवंबर 2024 की वो काली रात दून शहर कभी नहीं भूल पाएगा — जब ओएनजीसी चौक पर हुए दर्दनाक सड़क हादसे में छह घरों के चिराग बुझ गए थे। देर रात 1:33 बजे तेज रफ्तार इनोवा कार की कंटेनर से भिड़ंत में छह युवाओं की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस मंजर ने पूरे शहर को हिला दिया था।
पुलिस जांच एक साल बाद भी अधूरी
दुर्घटना के बाद पुलिस ने कई वादे किए थे, मगर एक साल बीतने के बावजूद न तो कंटेनर चालक को गिरफ्तार किया जा सका, न ही चार्जशीट दाखिल हुई। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस हादसे पर स्वतः संज्ञान लेकर उत्तराखंड शासन से रिपोर्ट तलब की थी, लेकिन पीड़ित परिवार आज भी न्याय की राह देख रहे हैं।
रात्रि चेकिंग व्यवस्था पर गंभीर सवाल
जांच में यह खुलासा हुआ था कि जाखन से रवाना हुई इनोवा कार ने पुलिस के पांच बैरियर पार किए, लेकिन कहीं रोकी नहीं गई। अगर चेकिंग में थोड़ी भी सतर्कता बरती जाती, तो शायद छह जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। यह हादसा पुलिस की रात्रि चेकिंग व्यवस्था की पोल खोल गया।
11 साल से बिना फिटनेस दौड़ रहा था कंटेनर
हादसे में शामिल कंटेनर (एचआर-55-जे-4348) 11 वर्षों से बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के सड़कों पर दौड़ रहा था। उसका टैक्स और बीमा भी वर्षों पहले समाप्त हो चुका था। टूटी शीशियों और बिना रिफ्लेक्टर वाले इस वाहन का खुलेआम चलना परिवहन विभाग की लापरवाही को उजागर करता है।
स्मार्ट सिटी कैमरे भी रहे बेअसर
हादसे के बाद जब कार की लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की गई, तो पता चला कि शहर के 115 CCTV कैमरे कई महीनों से बंद पड़े थे — जिनमें से अब भी 40 कैमरे खराब हैं। ₹235 करोड़ की स्मार्ट सिटी परियोजना के बावजूद निगरानी व्यवस्था धराशायी रही।
देर रात पार्टियों और लांग ड्राइव का जुनून अब भी जारी
दून के कई हादसों की जड़ में देर रात पार्टी और लांग ड्राइव का जुनून सामने आया है। 11 नवंबर की इस दुर्घटना के बाद प्रशासन ने कुछ दिनों के लिए बार रात 11 बजे तक बंद कराए, लेकिन अब हालात फिर पुराने जैसे हैं।
पिछले एक वर्ष में ऐसे कई हादसे
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मसूरी हादसा (4 मई 2024): देर रात पार्टी से लौटते वक्त कार खाई में गिरी, 5 छात्र-छात्राओं की मौत।
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धूलकोट हादसा (17 मई 2024): डंपर से टकराई बाइक, दो युवकों की मौके पर मौत।
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हाथीबड़कला दुर्घटना (11 अक्टूबर 2023): सेना के कैप्टन और उनके दोस्त की कार कंटेनर से टकराई, दोनों की मौत।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई अब भी अधूरी
एक वर्ष बीतने के बाद भी शासन, पुलिस और परिवहन विभाग की कार्रवाइयां केवल ‘औपचारिक’ रही हैं। न तो लापरवाह अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई हुई, न ही ट्रैफिक नियंत्रण के स्थायी उपाय।
पुलिस का दावा
एसएसपी अजय सिंह का कहना है कि “शहर में दुर्घटना नियंत्रण के लिए हर मुख्य मार्ग पर रात्रि चेकिंग बढ़ाई गई है। एल्कोमीटर से जांच और वैकल्पिक मार्गों पर चौकियों की निगरानी सख्त की गई है।”
परिजन अब भी सदमे में
छह परिवारों के लिए यह दिन आज भी दर्द की तरह लौट आता है। वे न्याय और जवाबदेही दोनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं — ताकि भविष्य में किसी और के घर के चिराग यूँ न बुझें।