एनजीटी की ओर से मसूरी झील के पानी के व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक के बाद अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने होटल व्यवसायियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। बोर्ड ने शहर के 322 होटल संचालकों को नोटिस भेजा है। इसमें उन्होंने होटलों के कमरे, पानी के स्रोत और खपत आदि की जानकारी मांगी है। इसके बाद तय किया जाएगा कि किसी होटल में पानी की उपलब्धता के आधार पर कितने कमरे किराये पर दिए जा सकेंगे।प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डाॅक्टर राजकुमार चतुर्वेदी ने बताया कि एनजीटी के आदेश में बोर्ड को भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। जिसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पता करना है कि जल संस्थान कितना पानी होटलों को दे रहा है या वे स्वयं से कितने पानी की व्यवस्था कर पा रहे हैं। उसी के अनुसार होटलों के लिए लिमिट तय की जाएगी कि वह कितने कमरों का संचालन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अगर होटल के पास 50 कमरे हैं और पानी की उपलब्धता 20 कमरों के बराबर ही है तो होटल संचालक इन 20 कमरों को ही संचालित कर सकेंगे। बताया कि होटल संचालकों से यह पूरी जानकारी मिलने के बाद उक्त योजना को लागू कर दिया जाएगा।
मसूरी पुनर्गठन पेयजल योजना ही आखिरी उम्मीद
उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप साहनी का कहना है कि मूलभूत सुविधाएं देना सरकार का काम है। पर्यटन की दृष्टि से मसूरी का बहुत अधिक महत्व है। अगर यहां पानी की किल्लत होगी तो पूरे राज्य की बदनामी होगी। मसूरी पुनर्गठन पेयजल योजना ही अब इस संकट से बचा सकती है। यदि मार्च तक यह योजना पूरी न हुई और आगामी पर्यटन सीजन में भी यही स्थिति बनी रही तो होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए सरकार और अधिकारियों को उक्त योजना को किसी भी हाल में मार्च तक पूरा करना होगा।
टैंकर व्यवसाय से जुड़े लोग भी हुए बेरोजगार
मसूरी भाजपा मंडल अध्यक्ष राकेश रावत ने बताया कि शहर के कई लोग टैंकर व्यवसाय से जुड़े हैं। एनजीटी के आदेश के बाद इनकी रोजी-रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है। साथ ही मसूरी के होटलों में भी पानी की किल्लत शुरू हो सकती है। उन्होंने कहा इस मामले में शासन-प्रशासन से वार्ता कर कोई रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा।
322 होटलों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का नोटिस, मांगी पानी की उपलब्धता की जानकारी
RELATED ARTICLES