नीती घाटी के गांवों को जोड़ने वाले पैदल पुल दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं। लोनिवि की ओर से वर्षों पुराने इन झूला पुलों की मरम्मत का कार्य आज तक नहीं किया गया है जिससे घाटी के तीनों पुलों में से कोई भी पुल आवाजाही के लिए सुरक्षित नहीं है। एक पुल की हालत इतनी जर्जर है कि पुल के लोहे की प्लेटें ही खिसक गई हैं। ऐसे में तीन गांवों की 500 से अधिक की आबादी खतरे के साए में आवाजाही के लिए मजबूर हैं। नीती घाटी चीन सीमा क्षेत्र में स्थित है। क्षेत्र में धौली गंगा पर भलागांव, फाग्ती और जुवा ग्वाड़ गांव को जोड़ने के लिए अस्सी के दशक में लोनिवि की ओर से पैदल पुलों का निर्माण किया गया था लेकिन निर्माण के बाद से इन पुलों की सुध नहीं ली गई। अब ये जर्जर हालत में पहुंच गए हैं। स्थिति यह है कि इस पुल से घाटी के तीन गांवों के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। वहीं भलागांव के लिए धौली गंगा पर लगभग 40 साल पूर्व निर्मित पैदल पुल के नीचे लोहे की प्लेटें खिसक गई हैं जिससे पुल पर जगह-जगह छेद हो गए हैं। भलागांव के ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह बुटोला का कहना है कि कई बार जिला प्रशासन से पुलों की मरम्मत के लिए कहा गया लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नीती घाटी में पुराने पुलों की जगह पर नए पुलों को शासन से स्वीकृति मिल गई है। मौजूदा समय में घाटी में कोई भी पुल आवाजाही के लिए असुरक्षित नहीं है। – सुरेंद्र पटवाल, ईई, लोक निर्माण विभाग
तहसील के सिमली में पिंडर नदी पर मोटर पुल बनकर तैयार होने के बावजूद वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है। यहां पुल बन गया लेकिन संपर्क मार्ग निर्माण की धीमी गति के कारण काम पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में लोगों को पांच किमी की अतिरिक्त दूरी नापनी पड़ रही है। प्रधान संघ अध्यक्ष सुशील खंडूड़ी, गोपी डिमरी, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य बलबीर लाल ने कहा कि वर्ष 2010 में मुश्किल से सिमली में मोटर पुल की स्वीकृति हुई थी। करीब पांच साल बाद 2015 में पुल का काम शुरू हुआ। इसे 2018 में बनकर तैयार हो जाना था लेकिन 2022 में पुल बनकर तैयार हो सका। उसके बाद अभी तक सड़क से जोड़ने के लिए दोनों तरफ से संपर्क मार्ग नहीं बनाए हैं। पुल का संपर्क मार्ग बन जाए तो कपीरी पट्टी सहित आसपास के 10 हजार से अधिक लोगों को फायदा होगा।
टिहरी जिले में भिलंगना नदी पर धोपड़धार पुल का निर्माण दो साल से अधर में लटका है। पुल निर्माण न होने से समण गांव में निवासरत 320 परिवारों के सामने सड़क से गांव की पांच किमी पैदल दूरी तय करने की मजबूरी बनी है।
समण गांव को 2015 में सड़क निर्माण की सौगात मिली थी। पीएमजीएसवाई ने चार करोड़ 33 लाख की लागत से धोपड़धार से समण गांव तक छह किमी सड़क का निर्माण 2018 में पूरा कर दिया था लेकिन सड़क मार्ग के बीच में पड़ने वाली भिलंगना नदी पर पुल निर्माण न होने से धोपड़धार-समणगांव मार्ग पर वाहनों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। पुल के अभाव में सड़क निर्माण का गांव के लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2019 में भिलंगना नदी पर पुल निर्माण के लिए चार करोड़ 26 लाख की स्वीकृति मिली थी। नवंबर 2020 में कार्यदायी संस्था ने पुल निर्माण शुरू कर एक साल में पुल निर्माण पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तब से दो साल बीत चुके हैं लेकिन पुल निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। वहीं पीएमजीएसवाई के ईई पीके सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमणकाल में पुल का कार्य नहीं हो पाया था। वर्ष 2021 में ठेकेदार ने कार्य करने से इन्कार कर दिया था। अब दोबारा से टेंडर कर पुल निर्माण शुरू किया गया है। पुल निर्माण चल रहा है आगामी दिसंबर माह के अंत तक पुल बनकर तैयार कर लिया जाएगा। ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर नरकोटा में प्रस्तावित मोटर पुल का निर्माण अधर में लटक गया है। पुल के एक पिलर (एबेडमेंट) का निर्माण जहां चालीस फीसदी से अधिक हो चुका है वहीं दूसरे एबेडमेंट का निर्माण शुरू ही नहीं हो पाया है। जबकि इसका दो बार डिजायन भी बदला जा चुका है। अब कार्यदायी संस्था की ओर से पुल निर्माण वाली जगह की मिट्टी का परीक्षण किया जा रहा है जिसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्य किया जाएगा।
बदरीनाथ हाईवे पर नरकोटा में रेल लाइन निर्माण के कारण हाईवे के तीखे मोड़ को खत्म कर सीधा किया जा रहा है जिसके लिए नरकोटा गदेरे पर 110 मीटर स्पान का सिग्नेचर पुल प्रस्तावित है। पुल निर्माण के लिए यहां पर कार्यदायी संस्था की ओर से एक पुल का निर्माण जोरों पर किया जा रहा है लेकिन दूसरे पुल (एबेडमेंट) का दो बार डिजायन बदला जा चुका है फिर भी इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका है। पहले यहां पर कार्य भूमि विवाद के चलते अटका रहा। भूमि का मसला हल हुआ तो पुल के डिजायन पर बात आगे नहीं बन पाई। बमुश्किल से इस वर्ष मार्च-अप्रैल में पुल का कार्य शुरू हो पाया लेकिन 20 जुलाई को पुल निर्माण के लिए बनाई गई शटरिंग टूट गई थी जिससे दो मजदूरों की मौत हो गई थी। मामले में एनएच के ईई व जेई को निलंबित किया गया था लेकिन उसके बाद से काम ठप पड़ा है। अब, दो दिन पूर्व ठेकेदार ने पुल के लिए पूर्व में बिछाए गए सरिये को हटा दिया है। इधर, एनएच के ईई निर्भय सिंह ने बताया कि कार्यदायी संस्था के कांट्रेक्टर व ठेकेदार के की ओर से पुल से सरिया व अन्य सामग्री हटाई गई है। विशेषज्ञों की मदद से पुन: भूमि और मिट्टी की जांच की जा रही है जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही एबेडमेंट का निर्माण किया जाएगा। बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन जोन सिरोहबगड़ से निजात पाने के लिए पपडासू बाईपास का निर्माण किया जा रहा है। इस बाईपास पर तीन मोटर पुल प्रस्तावित हैं, जिसमें दो अलकनंदा नदी पर और एक चित्रमति नदी पर बन रहा है। लेकिन अभी तक सिर्फ एक पुल का कार्य ही 50 फीसदी हो पाया है। शेष दो पुलों का कार्य कछुवा गति से चल रहा है।
40 साल पुराना झूला पुल दे रहा दुर्घटना को न्यौता
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