रुद्रपुर। एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के तहत महिलाओं और शिशु के लिए कई कार्यक्रम संचालित के बावजूद जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर कम नहीं हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक एक साल में 43 महिलाओं और 238 शिशुओं की मौत हुई है। डीएम ने चिंता व नाराजगी जाहिर करते हुए डॉक्टरों और एनएचएम के अधिकारियों के सख्त निर्देश देते हुए इसकी वजहों का पता करने के निर्देश दिए। सोमवार को कलक्ट्रेट सभागार में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते हुए डीएम युगल किशोर पंत ने मातृ-शिशु मृत्यु की डेथ ऑडिट के दौरान गहतना से समीक्षा की जाए। साथ ही बिंदुवार डेथ ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। डीएम ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट में आशा के कार्यों, दायित्व व जिम्मेदारी आदि विवरण को भी शामिल किया जाए।
मरीज के दवाई से खाने तक की स्थिति को भी ऑडिट रिपोर्ट में शामिल किया जाए। मातृ-शिशु मृत्यु की शत प्रतिशत डेट ऑडिट की जाए, ताकि कमियों का पता लगाते हुए कमियों को दूर किया जा सके। जिले में वर्ष 2022-2023 में 43 महिलाओं व 238 शिशुओं की मृत्यु हुई है। डीएम ने जनता से अपील करते हुए कहा कि मातृ-शिशु की देखभाल में कोताही न बरती जाए। उन्होंने कहा कि अधिकांश महिलाओं की मृत्यु घर पर, रास्ते में या किसी सुविधा केंद्र पर पहुंचने के तुरंत बाद होती है। वहां डॉ.मनोज कुमार शर्मा, एसीएमओ डॉ.तपन शर्मा, डॉ.हरेन्द्र मलिक, डॉ. शुषमा नेगी, डॉ.आरके दूबे, डॉ.एचके शर्मा, आदि थे।
यूएस नगर में एक साल में 43 महिलाओं और 238 शिशुओं की मौत
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