कांवड़ यात्रा को लेकर बुलाई गई अंतर्राज्यीय समन्वय बैठक में डीजे प्रतिबंध की बात नहीं गई, लेकिन इसमें बजने वाले गानों की निगरानी पुलिस जरूर करेगी, ताकि किसी धर्म विशेष की भावनाएं आहत न हों। ऐसा हुआ तो पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी। हालांकि, डीजीपी अशोक कुमार ने उत्तराखंड क्षेत्र में डीजे को नियंत्रित करने को कहा है। दरअसल, बीते कई सालों से कांवड़ यात्रा में डीजे प्रतिबंध को लेकर खुले तौर पर कोई आदेश जारी नहीं होते हैं।
वर्ष 2018 में अफसरों ने डीजे प्रतिबंध की बात कही थी, लेकिन यूपी के रुख को देखते हुए तत्काल बदलाव कर दिया गया था। प्रतिबंध को नियंत्रित बता दिया गया था। सोमवार को भी तमाम विषयों पर बैठक में चर्चा हुई, लेकिन डीजे को लेकर फिर वही नियंत्रण शब्द ही बार-बार बोला गया। कांवड़ियों के उद्गम स्थल पर ही डीजे नियंत्रित किया जाएगा। इसके अलावा डीजीपी अशोक कुमार ने भी कहा कि उत्तराखंड क्षेत्र में यानी हरिद्वार में डीजे नियंत्रित रहेगा।
कहा कि प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा, पर नियंत्रित किया जाएगा। कहा कि हरिद्वार में पहले से ही इतनी भीड़ रहती है कि डीजे लोग कैसे बजाएंगे। डीजे बजाने से ध्वनि प्रदूषण होता है। इस पर पहले भी कई बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। उधर, बीते दिनों कई मामले ऐसे सामने आए, जिनमें धार्मिक यात्रा के दौरान स्थिति बिगड़ी है। बाद में पता चला कि यात्रा के दौरान ऐसे गाने बजाए गए जिनसे दूसरे पक्ष की भावनाएं आहत हुईं। ऐसे में क्या तंत्र होगा इसका खुलासा नहीं किया गया। संभवतया इसे इंटेलीजेंस सूचनाओं पर ही रोका जा सकता है। इसके लिए स्थानीय अभिसूचना इकाइयों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या है नियंत्रण की परिभाषा
कांवड़िए बीते कई सालों से तेज आवाज में डीजे का प्रयोग करते आ रहे हैं। ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर कई क्षेत्रों में बंद भी किया जाता है, पर नियंत्रण की परिभाषा अभी तक साफ नहीं हो पाई है। हालांकि, अफसरों का कहना है कि इस पर नियंत्रण कम आवाज में बजाने को माना जाता है, मगर होता इसका उलट है। कांवड़ यात्रा में डीजे तेज आवाज में ही बजाया जाता है।
देहरादून: डीजे पर नहीं, बजने वाले गानों की होगी निगरानी
RELATED ARTICLES