अल्मोड़ा। भारत में मैकाले की शिक्षा पद्धत्ति से शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। अंग्रेज चले गए हैं और हम काले अंग्रेजों का उत्पादन कर रहे हैं। भारत और नेपाल दोनों देशों को एकजुट होकर अपनी भाषा-संस्कृति को बचाने का प्रयास करना चाहिए।
यह बात नेपाल के प्रोफेसर माधव पी पोखरेल ने कही। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा और सेवा इंटरनेशनल अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद (नेपाल अध्ययन केंद्र) नई दिल्ली की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में बोल रहे थे। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और विश्वविद्यालय के वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग में इंडो नेपाल रिलेशंस एंड उत्तराखंड इंडिया शेयर्ड हिस्ट्री एंड कल्चर विषय पर आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा कि नेपाल के संविधान के अनुसार नेपाल में 123 राष्ट्रीय भाषा हैं लेकिन वहां की सरकारी भाषा नेपाली है।
प्रो. एमएम जोशी ने कुमाऊं के ब्राह्मण परिवार और गोरखाओं के सोहार्द्रपूर्ण संबंधों पर शोध पत्र पढ़ा। डॉ. वासुदेव पांडे ने गोरखाकाल के अभिलेखों के जरिये भारत और नेपाल के बीच साझा संस्कृति को प्रस्तुत किया। प्रो. माहेश्वर प्रसाद जोशी और डॉ. रितेश साह ने भी शोध पत्र पढ़े। एक सत्र की अध्यक्षता अमेरिका के प्रो. बरनार्डो ए माइकल ने की। प्रो. विदुर चालीसे ने विभिन्न काल के अभिलेखों के माध्यम से व्याकरण पक्ष पर शोध प्रस्तुति दी। डॉ. शैलजा पोखरेल, डॉ. भोजराज गौतम ने भारत और नेपाल के सांस्कृतिक, भाषिक, ऐतिहासिक पक्ष पर शोधपत्र पढ़े। विश्वविद्यालय में संचालित सत्रों में आयोजक सचिव प्रोफेसर विद्याधर सिंह नेगी ने सेमिनार के सत्र की रूपरेखा प्रस्तुत की। डॉ. अश्विनी अस्थाना, प्रो. अनिल कुमार जोशी, डॉ. संदीप बड़ौनी, डॉ. भगवान सिंह धामी, वासुदेवा बिष्ट, मोहन प्रसाद बिष्ट, डॉ. निहार नायक, प्रो. संगीता थपलियाल, डॉ. हरक बहादुर शाही, नारायणी भट्ट आदि ने भी शोध पत्र पढ़े। वानिकी, पर्यावरण अध्ययन विभाग में डॉ. संदीप बड़ौनी, डॉ. रवींद्र पाठक, डॉ. अश्विनी अस्थाना, डॉ. गोकुल देवपा, अरविंद अधिकारी, डॉ. नंदन बिष्ट ने विचार रखे।
ये रहे मौजूद
अधिष्ठाता छात्र प्रशासन प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट, डॉ. चंद्र प्रकाश फूलोरिया, डॉ. लवी त्यागी, डॉ. राकेश साह, प्रो. एमएम जोशी, डॉ. भोजराज गौतम, डॉ. रमेश खत्री, डॉ. श्वेता सिंह, डॉ. रीतू चौधरी, राजेंद्र रावल, प्रो. इला साह, प्रो. निर्मला पंत, डॉ. ललित जोशी, डॉ. गोकुल देवपा, दिनेश पटेल आदि मौजूद रहे।
अपनी भाषा संस्कृति को बचाने के लिए एकजुट हों भारत और नेपाल : प्रो. माधव
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