हल्द्वानी। विकासखंड के 24 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बारिश से बचने का कोई साधन नहीं है। खत्तों और वन ग्रामों में बने इन स्कूलों के पास पक्के भवन नहीं है। अधिकतर स्कूल घासफूस की झोपड़ी में चल रहे हैं। मामूली बारिश में ही छत टपकने लगती है। तेज बारिश के झोंकों से शिक्षण सामग्री भीग जाती है।
बरसात का सीजन शुरू हो गया है। एक जुलाई के बाद स्कूल खुल जाएंगे। ऐसे में बारिश के बीच इन विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित रहता है। घासफूस की झोपड़ी में बने होने से बरसात के दिनों में कई बार इन्हें मजबूरन बंद करना पड़ता है। शौचालय और पेयजल के लिए भी लंबे समय से ये विद्यालय तरस रहे हैं।राउप्रावि हाथगढ़ खत्ता, राप्रावि डौलीखत्ता, राप्रावि बीड़खत्ता, राप्रावि रैलाखत्ता, राप्रावि कलेगाखत्ता, राप्रावि ज्योतिखाल खत्ता, राप्रावि हसपुर खत्ता, राप्रावि कोटखरीखत्ता, राप्रावि पीलापानी खत्ता, राप्रावि बोड खत्ता, राप्रावि सहपठानीखत्ता समेत 24 विद्यालयों में करीब 638 विद्यार्थी पढ़ते हैं। लंबे समय से खत्तों में बने इन स्कूल का विकास नहीं हो सका है। वन भूमि में होने के कारण इनके न तो पक्के भवन बन पा रहे हैं और न ही पेयजल संयोजन नहीं लग पा रहे हैं। इन स्कूलों में बारिश में पानी घुस जाता है। पानी से बचने के लिए यहां कोई उपाय नहीं हैं। ऐसे में खत्तों में बने इन स्कूूलों में बरसात के दिनों में पढ़ाई प्रभावित रहती है।
कोट
खत्तों में बने स्कूलों के लिए फिलहाल कोई नई योजना नहीं आई है। पुरानी व्यवस्थाओं के आधार पर ही स्कूलों का संचालन हो रहा है। विभाग की ओर से इनकी बेहतरी के प्रयास किए जा रहे हैं। – सीईओ केएस रावत।
कैसे पढें, मामूली बारिश में टपकने लगती है छत
RELATED ARTICLES