Sunday, November 16, 2025
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किसी ध्यान नहीं दिया और सीतापुर नेत्र चिकित्सालय की ‘आंखें हो गईं खराब’

काशीपुर। शहर में स्थित सीतापुर नेत्र चिकित्सालय वह अस्पताल है जिसने 36 वर्षों तक अनगिनत मरीजों की आंखों का इलाज कर उन्हें यह रंगबिरंगी दुनिया देखने की सहूलियत दी। विडंबना ही है कि इस अस्पताल की जरूरतों की ओर न तो सीतापुर नेत्र चिकित्सालय के मुख्यालय और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने कोई ध्यान नहीं दिया, इसी का कारण रहा कि 36 वर्षों बाद 29 जून 2022 को इस अस्पताल की ‘आंखें’ हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गईं। इस अस्पताल में अब ताला लग चुका है और अस्पताल प्रबंधन ने इस अस्पताल से फर्नीचर और उपकरण सीतापुर मुख्यालय (यूपी) वापस मंगवा लिए हैं।
पूर्व सीएम स्व. पं. एनडी तिवारी के प्रयासों से वर्ष 1986 में कटोराताल क्षेत्र में डॉ. एमपी मेहरे मेमोरियल सीतापुर नेत्र चिकित्सालय शुरू हुआ था। उस समय एलडी भट्ट चिकित्सालय में नेत्र रोग का कोई डॉक्टर नहीं था। 50 बेड वाले सीतापुर नेत्र चिकित्सालय में काशीपुर के अलावा जसपुर, बाजपुर, रामनगर व यूपी क्षेत्र के सैकड़ों लोग इलाज कराने पहुंचते थे। एक वक्त था कि इस अस्पताल में 250-300 की ओपीडी प्रतिदिन हुआ करती थी। घटते-घटते यह संख्या 10-15 तक रह गई थी।
सीतापुर नेत्र चिकित्सालय में वर्ष 1998 से तैनात रहे नेत्र रोग विशेषज्ञ सर्जन डॉ. अनिल सारस्वत ने दूरभाष पर बताया कि उन्होंने चिकित्सालय प्रशासन से 31 मार्च 2022 को वीआरएस ले लिया था और अपने पैतृक घर इलाहाबाद लौट गए थे। डॉ. सारस्वत ने 24 वर्षों तक क्षेत्र के नेत्र रोगियों का इलाज और ऑपरेशन किया। देखरेख के अभाव में यह अस्पताल अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है और कभी भी धराशायी हो सकता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में राज्य के स्वास्थ्य विभाग को बिल्डिंग के जीर्णोद्धार के लिए एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। तब दो बार में सात लाख और 20 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे। उस दौरान चुनाव के चलते आचार संहिता लग गई थी जिससे काम अधर में लटक गया तो आज तक पूरा ही नहीं हुआ। उधर अस्पताल के ही सूत्रों ने बताया कि यहां लगभग दो साल के लिए धामपुर निवासी एक ऑप्टोमेट्रिस्ट स्थानांतरित होकर आए थे। बीते दिनों उनका स्थानांतरण बागेश्वर हो गया। उनके जाने के बाद सीतापुर नेत्र चिकित्सालय सीतापुर से मुरादाबाद निवासी एक अन्य ऑप्टोमेट्रिस्ट स्थानांतरित होकर आए थे। वह लगभग एक सप्ताह रुके और उसके बाद लौट गए थे। एक सफाई कर्मचारी तैनात था, वह भी चला गया है। इसके बाद अस्पताल मुख्यालय प्रशासन ने अस्पताल को पूरी तरह से बंद कर दिया और अस्पताल में मौजूद सभी उपकरण व फर्नीचर वापस सीतापुर मंगवा लिए हैं।
ये सुविधाएं थीं अस्पताल में
सीतापुर नेत्र चिकित्सालय में ऑटो रिफ्रेक्ट्रोमीटर, स्लीट लैप, ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप, अल्ट्रासाउंड ए स्कैन, क्रोटोमीटर सहित सभी आवश्यक उपकरण व दवाएं। साथ ही दो जनरल वार्ड और आठ प्राइवेट वार्ड थे

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