Wednesday, December 3, 2025
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दरक रही चट्टान से आफत में है जान

ज्योलीकोट (नैनीताल)। कुछ दिनों से जिला मुख्यालय से महज 20 किमी दूर स्थित चोपड़ा गांव सोशल मीडिया में छाया हुआ है। गांव के सोशल मीडिया की सुर्खियां बनने की वजह है 10 महीने पहले पिछले साल अक्तूबर में आई आपदा है। आपदा से चोपड़ा में वचनढूंगा की चट्टानें टूट गईं थीं। अब यह चट्टानें लगातार टूटती जा रही हैं। चट्टानों के टूटने से गांव को खतरा हो गया है। ग्रामीण लगातार शासन-प्रशासन से बचाव के उपाय करने की गुहार लगाते आ रहे हैं लेकिन कोई भी सुध नहीं ले रहा है। ग्रामीणों की हर रात डर के साए में गुजर रही है। चोपड़ा गांव में 70 परिवार रहते हैं। चट्टानों के खिसकने से ग्रामीणों के मकानों के खिसकने का भय बना हुआ है। पिछले साल अक्तूबर में आई आपदा के बाद ग्रामीण प्रदेश सरकार, मंत्री, सांसद, विधायक, डीएम से गुहार लगाकर थक चुके हैं लेकिन आज तक किसी ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली है। अब बरसात के मौसम में ग्रामीण दहशत में हैं। कभी भी पूरी चट्टान के खिसकने से ग्रामीणों के मकान टूट सकते हैं। ग्रामीणों की इस पीड़ा को चोपड़ा गांव निवासी मशहूर आरजे पंकज जीना ने अपने फेशबुक वॉल पर पोस्ट कर गांव को बचाने के लिए गुहार लगाई है। यह मुद्दा सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हो रहा है।
लगातार टूट रही हैं चट्टानें
ग्रामसभा चोपड़ा में 19 अक्टूबर 2021 को आई आपदा से वचनढूंगा की चट्टानें दरक गईं। यह चट्टानें अब लगातार टूटती जा रही हैं। इससे पूरे गांव के दरकने का खतरा हो गया है। चोपड़ा गांव के तोक मल्ला दांगड, तल्ला दांगड से आमपड़ाव और हाईवे तक मलबा और बोल्डर गिर रहे हैं। इससे 70 से अधिक परिवारों की जान को खतरा बना हुआ है। प्रशासन ने आश्वासन तो दिए लेकिन अभी तक राहत के उपाय नहीं किए गए हैं।
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खतरे के मुहाने पर सबसे पहले मेरा ही आवास है। चट्टान के गिरे छोटे बड़े पत्थर आवास के नजदीक पहुंच रहे हैं। आवास हमारा ही है। पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़े आवास के नजदीक पहुंच रहे है। ऐसा खतरा नेताओं और अधिकारियों के घरों के लिए होता तो दस महीने में तस्वीर बदल गई होती। – जगत सिंह जीना, किसान मल्ला दांगड
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पीढ़ियों से जिस जगह को खून पसीना बहाकर सींचा है आज उसी जगह पर इतनी बड़ी आफत सिर पर खड़ी है। रात-दिन जान की चिंता लगी रहती है लेकिन अफसोस है कि किसी को हमारी चिंता नहीं है। – सगत सिंह, बुजुर्ग ग्रामीण
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पिछले साल अक्तूबर से अब तक छोटे से बड़े अधिकारी को पत्राचार कर चुके हैं। सांसद, विधायक, मंत्री, डीएम सभी से गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है। टूटी चट्टानें अब गांव की ओर लटक गई हैं और गांव के लिए खतरा बढ़ गया है। जल्द सुरक्षा के उपाय किए जाएं। – संगीता आर्या, ग्राम प्रधान चोपडा
कोट
लोगों के बर्षों पुराने आशियाने खतरे की जद में हैं। गांव खतरे में है और किसी को इसकी फिक्र नहीं है। अगर चुनाव होते तो गांव की चर्चा होती। रोटी के लिए बेटे गांव से दूर हैं और गांव बर्बाद होने की राह पर है। ग्रामीण और जानवरों को खतरा है लेकिन साहब लोगों को किसी की फिक्र नहीं है। – पंकज जीना, मशूहर आरजे

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