चौखुटिया (अल्मोड़ा)। ग्राम पंचायत ऊंचावाहन के पूर्व ग्राम प्रधान शंकर सिंह बिष्ट पुरानी चीजों को संकलित कर युवा पीढ़ी को उसके महत्व व उपयोगिता के बारे में बताते रहते हैं। इस बीच उन्होंने घर के निकट हाथ से घुमाकर आटा पीसने की चक्की जिसे स्थानीय बोली में जानर कहते हैं स्थापित किए हैं। उन्होंने पहले तीन जानरों में रंगरोगन किया और फिर आकर्षक ढंग से स्थापित कर दिया।
बिष्ट बताते हैं कि पहले बिजली की चक्की नहीं हुआ करती थी तो लोग गेहूं, मडुवा आदि पिसवाने पनचक्की में जाया करते थे। जब पिसाई कम मात्रा में करनी हो अथवा तुरंत जरूरत हो तो इसके लिए पूर्वजों ने दो गोल पत्थरों को जोड़कर जानर बनाया था। जानर का नीचे का पाट स्थिर व ऊपर का घूमने वाला होता है। ऊपर लकड़ी का हैंडिल लगा होता था और दोनों पाटों के बीच में अनाज डालकर हैंडिल घुमाकर पिसाई की जाती थी। बिष्ट का कहना है कि विज्ञान से तरक्की तो हुई परंतु नई पीढ़ी परंपरागत चीजों को भुल गई। इसलिए उन्होंने जानर को स्थापित कर नई पीढ़ी का ध्यान इसकी तरफ आकर्षित करने की ठानी। कहा कि इससे गांव में आने वाले पर्यटकों को भी हमारी परंपरा की जानकारी मिल पाएगी।