उत्तराखंड के भू कानून के परीक्षण एवं सुझाव को लेकर गठित समिति की रिपोर्ट पर शुक्रवार को अंतिम मुहर लग सकती है। इस संबंध में समिति की एक बैठक बुलाई है, जिसमें तैयार की गई सिफारिशों पर चर्चा कर उन्हें अंतिम रूप दे दिया जाएगा। समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार के मुताबिक, बैठक के बाद एक हफ्ते के भीतर प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। त्रिवेंद्र सरकार में भू कानून में किए गए संशोधनों के विरोध के चलते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समिति का गठन किया था। समिति की अब तक पांच बैठकें हो चुकी हैं। हितधारकों के सुझावों लेने के साथ ही समिति ने जिलाधिकारियों से भीभूमि की खरीद-फरोख्त के संबध में तथ्य जुटाएं हैं। भू कानून में नए संशोधन की संभावनाओं के लिहाज से समिति की सिफारिशें काफी अहम मानी जा रही हैं।
सीलिंग हटाना विरोध की वजह
त्रिवेंद्र सरकार में उत्तरप्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम में संशोधन हुए। अधिनियम की धारा 154 के अनुसार, कोई भी किसान 12.5 एकड़ यानी 260 नाली जमीन का मालिक ही हो सकता था। इससे ज्यादा भूमि पर सीलिंग थी। अधिनियम की धारा 154(4)(3)(क) में बदलाव कर सीलिंग की बाध्यता समाप्त कर दी गई। किसान होना भी अनिवार्य नहीं रहा। यह प्रावधान भी किया कि पहाड़ में उद्योग लगाने के लिए भूमि खरीदने पर भूमि का स्वत: भू उपयोग बदल जाएगा। इनका लोगों ने विरोध किया।
भाजपा ने लैंड जिहाद का मामला भी उठाया था
विधानसभा चुनाव के दौरान भू कानून के बहाने भाजपा ने लैंड जिहाद का मामला भी उठाया। चुनाव दृष्टिपत्र में इसे शामिल किया। लैंड जिहाद के पैरोकार व भू कानून समिति के सदस्य अजेंद्र अजय कहते हैं, पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर धर्म विशेष के लोग जमीन खरीद रहे हैं। ये सीमांत और देवभूमि क्षेत्र है। धार्मिक पहलुओं को देखते हुए कानून में अलग से प्रावधान होने चाहिए।
भूमि आवंटित कराई पर उपयोग नहीं किया
भू कानून समिति ने सभी जिलाधिकारियों से वर्ष 2003-04 के बाद विभिन्न प्रायोजनों के लिए आवंटित की गई भूमि का उपयोग और वर्तमान स्थिति का पता लगाने के लिए जिलाधिकारियों से रिपोर्ट भी मांगी। रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ कि जिस उद्देश्य से भूमि ली गई, उसका दूसरा उपयोग कर दिया गया। कई जगह भूमि आवंटित करा ली गई, लेकिन उसे खाली छोड़ दिया गया। समिति की बैठक शुक्रवार को बुलाई गई है। इस बैठक में समिति की सिफारिशों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी जाएगी। रिपोर्ट गोपनीय है, इसलिए इसके बारे में कुछ भी बताना संभव नहीं है। – सुभाष कुमार, पूर्व मुख्य सचिव व अध्यक्ष, भू कानून समिति
उत्तराखंड में भू कानून समिति की रिपोर्ट पर आज लग सकती है मुहर, बैठक में होगा फैसला
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