प्रदेश में निवेशकों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए अब निजी भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा सकेंगे। पहली बार सरकार की ओर से निजी औद्योगिक क्षेत्रों के लिए नीति बनाई जा रही है। इसमें प्रोत्साहन देने के साथ ही जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। उद्योग विभाग ने नीति का प्रस्ताव शासन को भेजा है। प्रस्तावित नीति में सरकार निजी भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिए प्रोत्साहन देने के साथ मरम्मत व रखरखाव करने की जिम्मेदारी तय करेगी। इससे जहां निवेशकों को नए उद्योग लगाने के लिए आसानी से जमीन उपलब्ध होगी। वहीं औद्योगिक क्षेत्र सही ढंग से स्थापित किए जा सकेंगे। साथ ही बिल्डर्स निवेशकों से मनमर्जी भी नहीं कर पाएंगे।
प्रस्तावित नीति में मिलेगी ये सुविधाएं
कोई बिल्डर्स या व्यक्ति 100 एकड़ जमीन में प्राइवेट इंडस्ट्रियल एरिया बनाता है, तो उसका लेआउट तैयार करना होगा। औद्योगिक क्षेत्र की कुल जमीन का 60 प्रतिशत ही निवेशकों को बेचा जा सकेगा। जबकि 40 प्रतिशत क्षेत्र ग्रीन क्षेत्र के लिए होगा। सरकार प्रति एकड़ जमीन के हिसाब से प्रोत्साहन देगी। बेचे जाने वाले प्लाट की कुल कीमत से कुछ धनराशि डेवलपमेंट फंड के रूप में जमा की जाएगी। यदि बिल्डर्स या व्यक्ति प्लाट बेचने के बाद मरम्मत कार्यों की जिम्मेदारी नहीं लेता है तो डेवलपमेंट फंड से ऐसे काम किए जाएंगे। प्राइवेट इंडस्ट्रियल एरिया की नीति बनाई जा रही है। प्रस्तावित नीति पर औद्योगिक संगठनों व हितधारकों से सुझाव लिए जाएंगे। जिसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा। – डॉ. पंकज कुमार पांडेय, सचिव उद्योग
निजी भूमि पर भी बन सकेंगे औद्योगिक क्षेत्र, पहली बार लागू होगी नीति, शासन को भेजा प्रस्ताव
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