देहरादून जिले के रानीपोखरी की घटना के बारे में जिसने सुना उसके दिमाग में आठ साल पहले देहरादून में हुई घटना का मंजर घूम गया। वर्ष 2014 में दिवाली की रात को बेटे ने मां, पिता, बहन और भांजी का कत्ल कर दिया था। बहन के गर्भ में पल रहे नौ माह के शिशु की भी इस घटना में मौत हो गई थी। पिछले साल न्यायालय ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। 23 अक्तूबर 2014 को शहर में दिवाली का जश्न मनाया जा रहा था। मगर, आदर्श नगर स्थित होर्डिंग कारोबारी के घर में उनका बेटा हरमीत खून की होली खेल रहा था। उसने अपने पिता, सौतेली मां, बहन और भांजी को चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। सुबह जब घर में काम के लिए नौकरानी आई तो उसने घर का मंजर देखा। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो हरमीत वहीं पर खड़ा था।
साथ में पांच साल का भांजा भी खड़ा था। हरमीत उसकी भी हत्या करना चाहता था, लेकिन शायद मौत की नजर उस पर नहीं थी जो हरमीत को किसी तरह रहम आ गया। सुबह पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। न्यायालय में सात साल मुकदमा चला। इनमें तीन साल तो हरमीत ने खुद को दिमागी रूप से कमजोर दिखाने का नाटक किया। इसके लिए दिल्ली और ऋषिकेश एम्स में उसकी जांच कराई गई। सात साल के बाद न्यायालय ने हरमीत को इन हत्याओं का दोषी माना। न्यायालय ने उसकी बहन के गर्भ में पल रहे नौ माह के शिशु की मौत को भी पांचवी हत्या माना था। इस आधार पर उसे सर्वोच्च सजा फांसी सुनाई गई। वर्तमान में हरमीत सुद्धोवाला जेल में सजा भुगत रहा है।
बता दें कि पत्नी ने पूजा-पाठ करते हुए टोका तो व्यक्ति के सिर पर खून सवार हो गया। गुस्से में उसने अपनी पत्नी, मां और तीन मासूम बेटियों को मौत के घाट उतार दिया। एक-एक कर उसने चाकू से गला रेतकर परिवार के पांच सदस्यों को मार डाला। पांचों शव मकान के अलग-अलग हिस्सों में खून से लथपथ पड़े थे। पुलिस को देखते ही कातिल ने भागने की कोशिश की, लेकिन रास्ता बंद देख उसने हाथ खड़े कर दिए। आरोपी को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया गया। शवों को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवा दिया गया है।
लोगों को याद आया आठ साल पुराना खौफनाक मंजर, चार लोगों की हत्या से दहल गया था देहरादून
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