नैनीताल। समाज में घुल रहा नशे का जहर महिला हिंसा को बढ़ा रहा है। मोबाइल का नशा इसमें और इजाफा कर रहा है। इस चुनौती को जागरूकता से दूर किया जा सकता है। इसमें सबसे पहली भूमिका मां को निभानी होगी। बच्चे सुसंस्कृत होंगे तभी वे गलत संगत से बच सकेंगे। यह बातें नैनीताल में मंगलवार को ‘अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स’ के तहत नैनीताल में हुई गोष्ठी में सामने आईं। इस दौरान सामाजिक, राजनीतिक और महिला संगठनों से जुड़ीं जागरूक महिलाओं ने महिला हिंसा के कारण गिनाए और इसके समाधान के उपाय भी सुझाए।सामाजिक कार्यकर्ता डा.सरस्वती खेतवाल ने कहा कि बच्चे की प्राथमिक पाठशाला उसका घर है। यदि वहां उसे ज्ञान समेत माहौल सही नहीं मिला तो उसका भटकना तय है। फिर उसका सामाजिक परिवेश उसे और भटका देता है। वही व्यक्ति बाद में अपने और परिवार के साथ ही समाज के लिए भी घातक होता है।चाइल्ड हेल्पलाइन की भावना ने किशोरावस्था में संबंधित शिक्षा और जागरूकता की जरूरत है। इससे काफी हद तक अपराधों पर अंकुश लग सकता है। सैणियों का संगठन की चंपा उपाध्याय ने कहा कि विभिन्न संगठनों की ओर से गांवों में चलाई जा रही मुहिम से महिलाएं जागरूक हुई हैं। उनके माध्यम से महिला हिंसा के मामले सार्वजनिक मंचों समेत न्यायालयों तक भी लाए जा रहे हैं जो अच्छे संकेत हैं।
मनरेगा से जुड़ीं नीमा लोकपाल ने कहा कि अधिकतर मामलों में ड्रग व एल्कोहल का सेवन करने के बाद ही पुरुष वर्ग महिलाओं के साथ हिंसा करता है। पुरूष और महिला वर्ग की काउंसलिंग, नशा व हिंसा पर सजा का प्रावधान आदि बताकर इसे रोका जा सकता है। विमर्श संस्था की गायत्री दर्मवाल ने घरों में बालक-बालिकाओं में अंतर को समाप्त करने पर जोर दिया। अधिवक्ता स्वाति परिहार ने कहा कि कई घटनाओं में मां ही समाज का हवाला देकर बेटी को चुप करा देती है। समाज में बढ़ रहा नशा, मोबाइल का चलन बड़ा अभिशाप बन रहा है जो महिला हिंसा का बड़ा कारक है। पूर्व सभासद किरन साह ने कहा कि नशा स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। सभ्य समाज के निर्माण के लिए पाठ्यक्रम की शिक्षा के साथ ही बच्चों को सामाजिक शिक्षा देना भी जरूरी है।
महिला हिंसा को बढ़ा रहा समाज में घुल रहा नशे का जहर व मोबाइल का नशा
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