बागेश्वर। महिलाएं यदि ठान लें तो कठिन से कठिन कार्य भी संभव है। मातृशक्ति पहाड़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उत्तराखंड में हुए प्रत्येक आंदोलन की वह अगुवा रही हैं। आज हर क्षेत्र में महिलाएं बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। यह बातें द हिमालय ट्रस्ट गढ़सेर सेंटर के संस्थापक समाजसेवी सदन मिश्रा ने कही। गरुड़ में अमर उजाला फाउंडेशन के अपराजिता 100 मिलियंस स्माइल कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि महिलाओं ने कई आंदोलनों को धार देने का काम किया। चिपको आंदोलन हो या वर्ष 1966 में सरला बहन के नेतृत्व में चलाया गया शराबबंदी आंदोलन। इन आंदोलनों में महिलाओं की अहम भूमिका रही। जन शिक्षण संस्थान की कार्यक्रम अधिकारी चंदू नेगी ने कहा कि आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। अपने पैरों में खड़ी हो रही हैं। परिवार का संबल बन रही हैं। उन्होंने कहा कि अपनी ताकत पहचानने से ही महिलाएं अपराजिता बन सकती हैं। संचालन करते हुए युवा कवि कमल कवि कांडपाल ने कहा कि महिलाओं के बगैर संसार की कल्पना नहीं की जा सकती है।
कार्यक्रम में रहे मौजूद
विनीता आर्य, आरती कुमारी, खष्टी देवी, पूनम, बबली, ममता बिष्ट, मीनू, मनीषा पांडेय, शिप्रा आर्या, कविता बोरा, ज्योति बिष्ट, स्वेता मिश्रा, दीपा, भावना, बीना, पूजा, पिंकी, राकेश, अजय, राहुल आदि।
महिलाएं ठान लें तो कठिन से कठिन कार्य भी संभव:मिश्रा
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