नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा की बहाली की मांग को खारिज कर दिया है। उन पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उन्हें यह रकम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करनी होगी। वेतन के मामले में सचिव आयुष को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। सरकार की ओर से कहा गया कि मिश्रा पर आईपीसी की धारा 120-बी, 467,468 के तहत मुकदमा दर्ज है। इस मामले की जांच जारी है। मृत्युंजय मिश्रा पर कुलसचिव रहते हुए वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं। इस आधार पर उसी कार्यालय में नियमित कार्यों के संपादन की अनुमति देना नियम विरुद्ध है। सरकार ने कहा कि मृत्युंजय अभी आरोपों से मुक्त नहीं हुए है। शासन उन्हें ट्रायल के दौरान कहीं भी संबद्ध कर सकता है।
मृत्युंजय मिश्रा की ये थी मांगें
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय में दोबारा बहाली, आयुष सचिव कार्यालय में संबद्धता खत्म करने और वेतन जारी करने की मांग।
कोर्ट ने यह भी कहा, आरोप को देखते हुए जब तक ट्रायल पूरा नहीं हो जाता, तब तक पूर्व कुलसचिव को निलंबित ही रखा जाए।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा की बहाली की मांग खारिज
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