नैनीताल। उच्च न्यायालय को नैनीताल से स्थानांतरित नहीं करने की मांग को लेकर समाजसेवी और हाईकोर्ट के अधिवक्ता नितिन कार्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड राज्य गठन की मांग केवल इसलिए थी कि दुर्गम भौगोलिक परिस्थिति व जटिल समस्याओं वाले इस पर्वतीय क्षेत्र के दूरस्थ ग्रामीण व अन्य क्षेत्रों का विकास किया जा सके। इस आलोक में हाईकोर्ट को स्थापना के 22 वर्ष बाद कुछ लोगों की सुविधा के लिए पुन: मैदानी क्षेत्र में ले जाना पर्वतीय राज्य की अवधारणा से क्रूर मजाक है। हाईकोर्ट पर अब तक आठ अरब 72 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और अब अन्यत्र कोर्ट बनाने में 18 अरब रुपये तक का खर्च आ सकता है। कार्की ने कहा कि एक ओर राज्य में शिक्षा, पेयजल, सड़कों, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति धन के अभाव में नहीं हो पा रही है वहीं कोर्ट की गैर जरूरी शिफ्टिंग पर इस तरह संसाधन जाया करने की आखिर क्या मजबूरी व जरूरत आ गई है। कहा है कि आज नैनीताल के अधिकतर परिवार रोजगार के लिए प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हाईकोर्ट आप जुड़े हैं। इस कदम से पलायन को बढ़ावा मिलेगा। कार्की ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि कोर्ट को वर्तमान स्थिति में ही रहने दिया जाए।
बार ने नहीं लिया अभी कोई फैसला : बहुगुणा
हाईकोर्ट बार के सचिव विकास बहुगुणा ने कहा है कि बार एसोसिएशन ने अभी हाईकोर्ट स्थानांतरण प्रकरण पर कोई निर्णय नहीं लिया है 12 अक्तूबर को इस संबंध में बार की बैठक बुलाई गई है उसमें चर्चा के बाद ही निर्णय लेकर सरकार को अवगत कराया जाएगा।
हाईकोर्ट बनने में आठ अरब खर्च, अब और 18 अरब खर्च कर शिफ्ट करना गैर जरूरी
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