उपभोक्ताओं के पेयजल संबंधी समाधान के लिए पेयजल निगम की ओर से बनाया गया कंट्रोल रूम शोपीस बना हुआ है। ट्रोलफ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करने के बाद न तो उपभोक्ता को शिकायत नंबर जारी किया जाता है और न इसके बाद कोई फीडबैक उपभोक्ता को दिया जाता है। ऐसे में शिकायतकर्ता बार-बार शिकायत करने को मजबूर हो रहा है। मेहूंवाला पेयजल क्लस्टर योजना के तहत पेयजल निगम ने कंट्रोल रूम बनाया है। इस कंट्रोल रूम की जिम्मेदारी एक कंपनी को दी गई है, लेकिन वर्तमान में कंट्रोल रूम शोपीस बना हुआ है। निगम की ओर से उपलब्ध टोलफ्री नंबर से जब भी कोई उपभोक्ता पेयजल संबंधी शिकायत भेजता है तो न तो उपभोक्ताओं को शिकायत नंबर भेजा जाता और न ही शिकायत के बाद फीडबैक दिया जा रहा है।
जो शिकायत नंबर उपलब्ध कराया भी जाता है, तो उसने पेयजल निगम का कोई जिक्र नहीं होता है, जिससे उपभोक्ता को यह पता नहीं लग पाता है कि यह शिकायत किसकी है और कहां से आई है। नियमानुसार शिकायत के 24 घंटे के बाद उपभोक्ता से फीडबैक लिया जाता है, लेकिन कंट्रोल रूम में ऐसी व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि शिकायत का समाधान होने का समय और तारीख भी रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता है। कंट्रोल रूम शोपीस बना है। उपभोक्ताओं को कोई फीडबैक नहीं मिल पा रहा। शिकायतों को रजिस्टर में भी दर्ज नहीं किया जा रहा। जो शिकायत नंबर उपभोक्ताओं को भेजा जा रहा, उसने पेयजल निगम का जिक्र नहीं होता, जिससे उपभोक्ताओं को यह पता नहीं चल पाता कि शिकायत नंबर किस चीज और विभाग की है।
बीरू बिष्ट, सदस्य शिकायत निवारण प्रकोष्ठ, मेहूंवाला पेयजल क्लस्टर योजना
कंट्रोल रूम से जो शिकायतें मिली है, उसे दिखाया जा रहा। ईई को कंट्रोल रूप का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं ठीक करने को कहा गया है। जल्द ही कंट्रोल रूम की व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त कर दिया जाएगा। – सीता राम, महाप्रबंधक पेयजल निगम
पेयजल समस्या के समाधान के लिए बना कंट्रोल रुम बना शोपीस
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