Wednesday, November 6, 2024
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अल्मोड़ा के पर्वतारोही अजय का शव हुआ बरामद, मौत की खबर से सदमे में परिजन

द्रौपदी के डांडा में हिमस्खलन हादसे में लापता नगर के युवा पर्वतारोही अजय बिष्ट का चार दिन बाद शव बरामद हो गया है। अजय के दोस्त और उसके जीजा शव को लेकर उत्तरकाशी से अल्मोड़ा रवाना हो गए हैं। शनिवार सुबह वे अल्मोड़ा पहुंच जाएंगे। बेटे की मौत की खबर से परिजन सदमे में हैं। नगर के गोपालधारा निवासी 32 वर्षीय युवा पर्वतारोही अजय बिष्ट अपने साथियों के साथ पर्वतारोहण के लिए उत्तरकाशी गए हुए थे। बीते मंगलवार को द्रौपदी के डांडा में हुए हिमस्खलन हादसे में वह लापता हो गए थे। चार दिन बाद शुक्रवार को युवा पर्वतारोही अजय का शव बरामद हुआ है। मौत की खबर से माता पिता, पत्नी और अन्य परिजन बेसुध है। रिश्तेदारों का भी रो-रोकर बुरा हाल है। मौत की खबर मिलने पर सगे संबंधी भी अजय के घर पहुंच गए हैं। शुक्रवार की शाम चार बजे उनके जीजा और दोस्त शव को लेकर अल्मोड़ा को रवाना हो गए। स्थानीय विश्वनाथ श्मशान घाट में उनकी अंत्येष्टि की जाएगी। अजय बिष्ट के पिता धीरेंद्र सिंह बिष्ट मछली बाजार के पीछे लोहे के शेर के पास गली में नागराज रेस्टोरेंट चलाते हैं।
ऐसे लौटेगा बेटा, ये किसे पता था
उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए निकले पर्वतारोही बेटे अजय बिष्ट की परिजनों को हमेशा चिंता रहती थी। अजय की सात आठ दिन पूर्व ही मम्मी, पापा से फोन पर बात हुई थी। अजय ने कहा था आप चिंता मत करो। मैं आठ अक्तूबर को अल्मोड़ा वापस लौट आऊंगा। अजय मां और पापा से किया वादा पूरा नहीं कर पाए। अब आठ अक्तूबर को जीवित नहीं बल्कि उनका शव अल्मोड़ा आएगा। अजय के मामा वरिष्ठ अधिवक्ता माधो सिंह जीना ने बताया कि पर्वतारोहण से अजय को बेहद लगाव था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बावजूद उनका दिल पर्वतारोहण के लिए धड़कता था। उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी गए अजय की सात आठ दिन पहले ही अपने पिता धीरेंद्र सिंह बिष्ट और माता जानकी बिष्ट से फोन पर बात हुई थी। अजय ने मम्मी और पापा से कहा था आप लोग बिल्कुल भी चिंता मत करो। यहां मौसम ठीक है। आठ अक्तूबर को मैं अल्मोड़ा पहुंच जाऊंगा। इसके बाद अजय की मम्मी और पापा से कोई बात नहीं हो पाई। अजय ने आठ अक्तूबर को माता, पिता से अल्मोड़ा आने का वादा किया था लेकिन उन्हें ये पता नहीं था कि वह इस वादा को पूरा भी कर पाएंगे। अब आठ अक्तूबर को अजय जीवित नहीं उनका शव अल्मोड़ा पहुंचेगा। माता पिता को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। अजय का वही वादा याद आ रहा है कि मैं आठ को अल्मोड़ा पहुंच जाऊंगा। बेटे से हुई अंतिम बात को याद कर माता, पिता का रो-रोकर बुरा हाल है।
पढ़ाई इंजीनियरिंग की, प्यार पर्वतारोहण से
नगर के गोपालधारा निवासी धीरेंद्र सिंह बिष्ट और जानकी बिष्ट के तीन बच्चों में अजय बिष्ट सबसे बड़े हैं। अजय ने कूर्मांचल एकेडमी से विज्ञान वर्ग से 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद देहरादून से बीटैक की पढ़ाई पूरी की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बावजूद उन्हें पर्वतारोहण का जबरदस्त शौक था। पिछले तीन चार सालों से वह पर्वतारोहण से जुड़े थे। उन्होंने असाम से भी पर्वतारोहण का कोर्स किया था। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) से एडवेंचर में एडवांस कोर्स करने के लिए संस्थान में दाखिला लिया था। उनका कोर्स पूरा होने वाला था। इसके बाद उनकी कोच बनकर पर्वतारोहियों को पर्वतारोहण कराने की तमन्ना थी लेकिन ये हसरत पूरी न हो सकी।
रजॉर्ट का सपना भी रह गया अधूरा
अजय बिष्ट शीतलाखेत में रिजॉर्ट बना रहे थे। वह पर्वतारोहण के साथ ही क्षेत्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा देना चाहते थे। वह युवाओं को भी पवर्तारोहण के लिए प्रेरित करते रहते थे। अजय की असमय हुई मौत से युवा पर्वतारोहियों को भी बड़ा झटका लगा है।
पांच माह पूर्व ही हुई थी अजय की शादी
पर्वतारोही अजय की शादी पांच माह पहले ही हुई थी। अजय खुशहाल जिंदगी जी रहे थे लेकिन द्रौपदी का डांडा में हिमस्खलन हादसे में उनका सब कुछ बिखर गया। अजय की मौत की खबर से पत्नी का भी रो-रोकर बुरा हाल है। शादी के बाद दोनों ने जिंदगी के कई सपने देखे थे लेकिन अजय की मौत के बाद ये सब अधूरे रह गए हैं।

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