रुद्रपुर। अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसके उच्चारण से ही शरद ऋतु के आगमन का संकेत मिलता है। धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन चंद्रदेव सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। शरद पूर्णिमा पर ध्रुव, अमृत व सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।पुरोहितों के मुताबिक शरद पूर्णिमा का अभिजीत मुहूर्त रविवार को 11: 44 से दोपहर 12: 30 मिनट तक है। जबकि पूर्णिमा रविवार की सुबह तीन बजकर 44 मिनट से शुरू होकर रात दो बजकर 26 मिनट तक है। ज्योतिषाचार्य ललित लोहनी और मंजू जोशी ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में खुले आसमान के नीचे रखकर अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें विशेष गुणकारी व औषधियुक्त होती हैं।
उन्होंने बताया कि सांस (अस्थमा) से संबंधित परेशानी वाले लोगों को शरद पूर्णिमा की रात में खुले आसमान के नीचे बैठने से लाभ होता है। शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का वैज्ञानिक कारण यह है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। इस कारण इसकी किरणों में कई लवण और विटामिन आते हैं। पृथ्वी से नजदीक होने के कारण ही खाद्य पदार्थ इसकी चांदनी को अवशोषित करते हैं। लवण और विटामिन से संपूर्ण ये किरणें हर खाद्य पदार्थ को स्वास्थ्यवर्धक बनाती हैं। दूध में लैक्टिक एसिड और अमृत तत्व होता है और चांद की किरणों से ये तत्व अधिक मात्रा में शक्ति का समावेश करते हैं। चावल में स्टार्च इस प्रक्रिया को आसान बना देता है और चांदी में एंटी-बैक्टेरियल तत्व होते हैं जो आपके भोजन को पौष्टिकता प्रदान करने के साथ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
शरद पूर्णिमा पर बन रहे ध्रुव, अमृत व सर्वार्थ सिद्धि योग
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