अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी अंकों के खेल से पकड़ी गई थी। दरअसल, इस भर्ती के रिजल्ट में चुने गए 196 उम्मीदवारों व बाकी के उम्मीदवारों के अंकों के बीच भारी अंतर था। वीपीडीओ भर्ती में 196 उम्मीदवारों का चयन किया गया था। रिजल्ट में शुरुआती 196 छात्रों के अंक लगभग समान और सर्वाधिक थे। मसलन, 100 अंकों में से 98, 97, 98, 97…। इसके बाद के उम्मीदवारों के अंक सीधे 87, 88, 86, 85….के क्रम में थे। किसी भी मेरिट में अचानक बीच का इतना फासला संभव ही नहीं हो सकता। लिहाजा, इस भर्ती की जांच की मांग उठनी शुरू हो गई थी। जब अपर मुख्य सचिव रणबीर सिंह ने इसकी जांच की तो अंकों के ट्रेंड के आधार पर ही उन्होंने भी इस भर्ती में गड़बड़ी की आशंका जताई थी। बाद में यह भर्ती रद्द हो गई थी। जब 25 फरवरी 2018 को दोबारा परीक्षा हुई तो पूर्व में चुने गए 196 में से केवल आठ ही अभ्यर्थी पास हो पाए थे। बाकी सभी टॉपर छात्र बाहर हो गए थे।
एक गांव के 20 छात्र जैसे चौंकाने वाली बातें
2016 में हुई वीपीडीओ भर्ती में ऊधमसिंह नगर के महुआडाबरा गांव के ही 20 युवा पास हो गए थे। दो सगे भाई भी चुने गए थे। खास बात यह है कि इस परीक्षा में जिस छात्र ने टॉप किया था, उसे 10वीं के बाद 12वीं पास करने में ही चार साल लग गए थे।
अंकों के खेल में पकड़ी गई थी गड़बड़ियां, दोबारा परीक्षा में 196 में से आठ ही हुए पास
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