प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदरीनाथ धाम के दौरे के दौरान पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद लिया। दिन में उन्हें मसूर की दाल और रात को गहत की दाल परोसी गई। दोनों वक्त उनके लिए खीर भी बनाई गई। प्रधानमंत्री ने बदरीनाथ धाम में माणा रोड के किनारे स्थित सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के गेस्ट हाउस में रात बिताई।
उनके लिए पहाड़ी व्यंजन बनाने की जिम्मेदारी भी बीआरओ के तीन रसोईयों को दी गई थी। माणा गांव में दोपहर करीब 2:13 बजे जनसभा संपन्न होने के बाद प्रधानमंत्री बीआरओ गेस्ट हाउस में पहुंचे। दोपहर के खाने में उनके लिए मसूर की दाल, मंडुवे की रोटी और झंगोरे की खीर बनाई गई थी। जबकि रात के समय लाल चावल की खीर, गहत की दाल, साधारण खिचड़ी, हरी सब्जी बनाई गई। शनिवार को प्रधानमंत्री सुबह करीब साढ़े पांच बजे उठे और नाश्ते की जगह सिर्फ दूध की चाय पी। बाद में बीआरओ के उच्च अधिकारियों ने प्रधानमंत्री की आवभगत में लगे नोडल अधिकारी से लेकर रसोईयों को पुरस्कृत किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोपहर और रात के खाने में नमक से परहेज किया। उनके लिए परोसी गई दाल और सब्जी में नमक का प्रयोग नहीं किया गया। बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि कार्तिक मास में भोजन करने का एक विधान है। इस मास में भगवान के लिए प्रिय वस्तुओं का त्याग किया जाता है। कई लोग एक-एक दिन छोड़कर उपवास रखते हैं। कोई नमक का त्याग करता है तो कोई फल का। यह तपस्या का लक्षण है।
बदरीनाथ में पीएम को परोसी गई गहत की दाल और मंडुवे की रोटी, इस एक चीज से किया परहेज
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