Friday, November 1, 2024
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आज दिपावली, 26 को गोवर्धन पूजा

हल्द्वानी। दीपावली के स्वागत में जिले का हर शहर, हर गांव दीपों की रोशनी और रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा रहा है। घर, घाट, पार्क सभी जगह रौनक छाई है। बाजारों में उमड़ी भीड़ से कारोबारी गदगद हैं। सोमवार को दीपावली आस्था और उल्लास से मनाई जाएगी। शाम 5:30 बजे से रात 8:50 बजे तक का समय महालक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम रहेगा। रविवार को धनतेरस और यम दीपदान शुभ मुहूर्त में शाम 5:32 बजे से रात 8:04 बजे तक धार्मिक विधि-विधान से मनाया गया। घरों में शुभ मुहूर्त के समय पूजन हुआ। लोगों ने शुभ मुहूर्त में जमकर खरीदारी की और शाम के समय घरों में दीपक जलाकर पूजन किया। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के कारण नरक चतुर्दशी भी रविवार को ही मनाई गई। पांच दिनों तक चलने वाला त्योहार धनतेरस से शुरु होता है और भैया दूज पर समाप्त होता है। 24 को दीपावली के बाद 26 को गोवर्धन पूजा और भैया दूज और 27 को मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा अन्नकूट का पर्व बुधवार 26 अक्तूबर को और भैया दूज बृहस्पतिवार 27 अक्तूबर को मनाया जाएगा। अमावस्या और सूर्यग्रहण होने के कारण मंगलवार 25 अक्तूबर को कोई भी त्योहार नहीं होगा।
ज्योतिष डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि सोमवार को अति शुभ योग में शाम 5:30 बजे के बाद अमावस्या तिथि शुरू होगी जिसमें प्रदोष काल में सोम, चित्रा नक्षत्र और वृष लग्न में पूजन का विशेष मुहूर्त है। पूजन का समय गोधूली बेला और प्रदोष काल से ही आरंभ हो जाएगा जिसका समय 5:30 से रात्रि 8:50 तक अति शुभ रहेगा। महानिशा काल का मुहूर्त 9:50 बजे से 12:50 बजे तक रहेगा। इस समय तंत्र साधना का उत्तम समय माना जाता है। रात्रि में सिंह लग्न में 1:20 से 3:30 बजे तक भी पूज-पाठ का शुभ योग है। उन्होंने बताया कि महालक्ष्मी पूजन के दिन धन की देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके अलावा श्री सूक्त पाठ और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से कनक वृष्टि यानी धन वर्षा होती है।
कल रहेगा सूर्यग्रहण
हल्द्वानी। मंगलवार को खंडग्रास-ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण होने से इस दिन कोई त्योहार औपचारिक रूप से नहीं मनाया जाएगा। यह ग्रहण भारतवर्ष सहित मध्य पूर्व, पश्चिम एशिया आदि स्थानों पर दिखाई देगा। इसका सूतक प्रभाव प्रात:काल इसी दिन 4:28 मिनट से शुरू हो जाएगा। सूर्यग्रहण दोपहर 2:28 बज से शुरू होगा। सूर्यग्रहण का सूतक ग्रहण काल के नौ घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहणकाल में ग्रहण देखने का दोष होता है। इस अवधि में उपवास रखकर हवन यज्ञ, दान में तिल दान करने का महत्व है। ग्रहण काल में शयन, शराब, मांस, मदिरा का सेवन कदाचित नहीं करना चाहिए। ग्रह दान, जप, असहाय सेवा के लिए उत्तम है ग्रहण के बाद हवन आदि कर स्वयं स्नान करना चाहिए।

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