बेटे की चाहत में 28 दिन की बेटी को नहर में फेंककर जाने लेने के मामले में कोर्ट ने मां को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले को छिपाने के आरोप में पिता को चार साल की सजा सुनाई गई है। मां को आठ हजार और पिता को तीन हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित भी किया गया है। मामला 16 दिसंबर 2019 का है। चकरपुर पचौरिया नई बस्ती गांव के विजय कुमार उर्फ गोविंद प्रसाद ने कोतवाली में 28 दिन की बेटी प्रियांशी की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। उसका कहना था कि उसकी बेटी लापता है। पुलिस ने जांच की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। बच्ची की मां निशा बेटी के पैदा होने से निराश थी। इस कारण उसने बच्ची को लोहियाहेड पावर हाउस नहर में फेंक दिया। मामले की जानकारी जब विजय को हुई तो उसने पत्नी को डांटा लेकिन उसके बाद पत्नी को बचाने के लिए मामले को छिपाए रखा। बाद में गुमशुदगी दर्ज करा दी। घटना के 12वें दिन बच्ची का शव लोहियाहेड पावर हाउस की जाली में उतराता मिला।
16 मार्च 2020 को दाखिल किया आरोप पत्र
मुकदमा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्म सिंह की अदालत में चला। पुलिस ने 16 मार्च 2020 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिए थे। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सौरभ ओझा ने नौ गवाहों को पेश किया। न्यायाधीश ने बच्ची की मां निशा उर्फ नगमा को हत्या का दोषी और पिता विजय कुमार को मामले को छिपाने का दोषी पाया। अदालत ने निशा को धारा 302 व 201 में आजीवन कारावास और आठ हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। पिता विजय कुमार उर्फ गोविंद प्रसाद को धारा 201 के तहत चार साल की सजा और तीन हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।
बेटे की चाहत में मां ने 28 दिन की बेटी को नहर में फेंका, तीन साल बाद कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा
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