हल्द्वानी। कुमाऊं की नदियों में खनन अनुमति की समय सीमा दो माह में खत्म हो जाएगी। लीज अवधि बढ़ाने के लिए वन निगम के अधिकारी कवायद में जुट गए हैं। इस संबंध में पर्यावरणीय अनुमति, वन भूमि हस्तांतरण के लिए प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। कुमाऊं में गौला, कोसी, शारदा, दाबका और नंधौर नदी में खनन होता है। इनसे करीब ढाई सौ करोड़ तक का राजस्व वन विभाग, वन निगम और खान विभाग समेत अन्य विभागों को मिलता है। गौला में दस साल की अवधि 28 जनवरी को खत्म हो रही है। कोसी, शारदा, दाबका में 14 फरवरी की लीज अवधि खत्म हो रही है। वन निगम ने दस साल की नई लीज अनुमति के लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में आवेदन किया हुआ है। नदियों में खनन (आरक्षित वन क्षेत्र) के लिए पर्यावरणीय अनुमति, वन भूमि हस्तांतरण की अनुमति की जरूरत होगी। इसके साथ ही अन्य प्रक्रियाओं को पूरा होना है। ऐसे में वन निगम की नींद उड़ी हुई है। अब वन निगम ने दूसरे विकल्पों के बारे में विचार कर रहा है, इसमें विधिवत अनुमति मिलने तक जो मौजूदा खनन अनुमति की लीज अवधि है, उसे बढ़ाने का योजना है। सूत्रों के अनुसार इसका प्रस्ताव शासन के माध्यम से पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा जाएगा।
नंधौर में 2026 तक है अनुमति
हल्द्वानी। नंधौर नदी में खनन की अभी लंबी अवधि है। वन निगम के अधिकारियों के अनुसार, नंधौर में खनिज निकासी को लेकर कोई समस्या नहीं है, यहां पर खनन के लिए वर्ष-2026 तक के लिए मंत्रालय से अनुमति मिली हुई है।
नदियों में खनिज निकासी की अनुमति खत्म हो रही है। वन निगम नये सिरे से विधिवत अनुमति के लिए प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही अनुमति मिलने की प्र्रक्रिया पूरी होेने तक खनिज निकासी में कोई समस्या न आए, इसके लिए लीज एक्सटेंशन लेने का भी प्रयास है। इस संबंध में सीएम के माध्यम से मंत्रालय से अनुरोध किया जाएगा। – कैलाश गहतोड़ी, अध्यक्ष, वन विकास निगम।
नदियों में खनन की लीज बढ़ाने की कवायद
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