अल्मोड़ा। अनुवादक जानकी बल्लभ का बीते शुक्रवार को बीजिंग में निधन हो गया। 94 वर्षीय जानकी लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके कार्यों के लिए 1961 में उन्हें तत्कालीन चीनी सरकार ने शांति एवं मैत्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। वह अपने पीछे दो पुत्र अखिल और अतुल डालाकोटी को छोड़ गए हैं। अल्मोड़ा के डालाकोट गांव में 1928 में जन्मे जानकी बल्लभ स्वतंत्रता संग्राम से भी करीब से जुड़े थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में परास्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1956 में हिंदी भाषा विशेषज्ञ के रूप में चीन चले गए थे। चीन में अपने विभिन्न कार्यकालों के दौरान बल्लभ ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के संस्थापक माओ के चयनित कार्यों का अनुवाद किया। उनके अनुवादित चीनी उपन्यास ‘जर्नी टू द वेस्ट’, चीनी लेखक लू जुन की कृतिया सहित अन्य साहित्यिक कार्य भारत में बहुत प्रचलित हुए। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की किताब दि गर्वनेंस ऑफ चाइना के पहले खंड का अनुवाद किया और 90 वर्ष की आयु में पुस्तक के दूसरे खंड का अनुवाद भी पूरा किया। वह पहले भारतीय थे, जिन्हें उनकी पत्नी के साथ चीन में दीर्घकालिक निवास दिया गया था। उनके बेटे अतुल चीन में भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) के कार्यकारी निदेशक हैं, जबकि अखिल सिंगापुर में शिपिंग एक्जीक्यूटिव हैं।
कई भारतीय प्रकाशनों के लिए किया काम
भारत-चीन युद्ध से पहले 1961 में जानकी बल्लभ भारत लौट आए। इस दौरान उन्होंने कई भारतीय प्रकाशनों के लिए काम किया। इनमें वीर अर्जुन, सैनिक समाचार, न्यू ऐज शामिल हैं। 1963 से 1977 तक उन्होंने चीनी दूतावास के संस्कृति कार्यालय में भी काम किया। 1982 में चीन लौटे और बीजिंग स्थित विदेशी भाषा प्रेस और रेडियो चाइना के लिए काम किया।
1965 में आए थे पैतृक गांव
अल्मोड़ा। जानकी बल्लभ जब चार साल के थे तो उनके सिर से मां-पिता का साया उठ गया था। चाचा ने उनका लालन-पालन किया। स्थानीय विद्यालय से कक्षा दो तक की पढ़ाई करने के बाद 12 साल की उम्र में वह चचेरे भाई मथुरा दत्त के साथ दिल्ली चले गए। व्यस्तता के कारण वह अंतिम बार 1965 में गांव आए थे। हालांकि वह अपने बच्चों, पोतों को गांव जाने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे। पांच साल पहले उनके बेटे अतुल और सिंगापुर में रहने वाले उनके पोते गांव आए थे। डालाकोट के पूर्व प्रधान ब्रह्मानंद डालाकोटी ने बताया कि वह ट्रेड यूनियन सीटू के इंटरनेशनल नेता भी रहे। उनके निधन पर विपिन जोशी कोमल, डॉ. हयात सिंह रावत, नवीन बिष्ट सहित तमाम लोगों ने शोक जताया है।
जानकी की ओर से बच्चों को दी जाती है प्रोत्साहन राशि
अल्मोड़ा। पूर्व प्रधान ब्रह्मानंद डालाकोटी ने बताया कि जानकी बल्लभ चचेरे भाई के बेटे प्रेमचंद के नाम कुछ राशि छोड़ गए हैं। इस राशि के ब्याज से जीआईसी नगरखान के हाईस्कूल, इंटर के चार टॉपरों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जानकी ने अपने पिता स्व. बची राम डालाकोटी की स्मृति में इस विद्यालय में वर्ष 91-92 में स्मृति पुरस्कार कोष शुरू किया था।
पत्नी श्यामा भी बीजिंग में थी हिंदी उद्घोषक
अल्मोड़ा। जानकी बल्लभ की शादी श्यामा से हुई थी। श्याम बल्लभ रेडियो बीजिंग की पहली हिंदी उद्घोषक थीं। उन्होंने चीनी बाल साहित्य का हिंदी में अनुवाद भी किया। 2014 में बीजिंग में उनका निधन हुआ था।
अनुवादक जानकी बल्लभ का चीन में निधन
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