Friday, November 8, 2024
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सर्वाइकल कैंसर का देरी से पता चलने से बढ़ रही मौतें

देहरादून। सर्वाइकल कैंसर का देरी से पता चलने से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। जागरूकता की कमी के कारण अधिकांश मामलों में चौथे चरण में बीमारी का पता चल पाता है। ऐसे में पीड़ित 75 फीसदी महिलाओं की इलाज के बावजूद एक साल के अंदर मौत हो जाती है। इस आंकड़ें को कम करने के लिए दून मेडिकल कॉलेज की ओर से जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। दून अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. दौलत सिंह के मुताबिक चौथे चरण में सर्वाइकल कैंसर का पता चलने से पीड़ित महिलाओं का इलाज करना और उनकी जिंदगी बचाना बेहद कठिन हो जाता है। महिलाओं को गर्भाशय कैंसर से बचाया जा सके इसके लिए जनवरी में जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके तहत अस्पताल में महिलाओं की जांच के साथ ही सर्वाइकल कैंसर से बचाव की जानकारी भी दी जा रही है।
सर्वाइकल कैंसर के सामान्य लक्षण
डॉ. दौलत सिंह के मुताबिक महिलाओं को पेट के नीचे गंभीर दर्द, बार-बार पेशाब का आना, अचानक वजन कम होना, शारीरिक संबंध बनाते समय अत्यधिक दर्द होना, बार-बार रक्तस्राव सर्वाइकल कैंसर के सामान्य लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर महिलाओं को तत्काल स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच करानी चाहिए। ताकि, समय रहते बीमारी का पता कर इलाज किया जा सके।
सर्वाइकल कैंसर से हर साल दुनिया में 275000 महिलाओं की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर साल 530000 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित होती हैं। इनमें से 275000 महिलाओं की मौत इलाज के बावजूद हो जाती है। कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक जानकारी के अभाव में ज्यादातर महिलाओं को बीमारी का पता चौथे चरण में चल पाता है। ऐसे में इलाज के बावजूद ज्यादातर महिलाओं की मौत हो जाती है।
दो तरह का होता है सर्वाइकल कैंसर
कैंसर रोग विशेषज्ञ के अनुसार सर्वाइकल कैंसर दो तरह का होता है। पहला एंडोमेट्रियल कैंसर है, जो सामान्यतः ठीक हो जाता है। दूसरा कैंसर गर्भाशय सार्कोमा है, जो बेहद दुर्लभ होता है। इस स्थिति में महिलाओं का इलाज करना और उनकी जिंदगी बचाना काफी मुश्किल होता है।सर्वाइकल कैंसर का देरी से पता चलने से बढ़ रही मौतें
जागरूकता के अभाव में चौथे चरण में चल रहा बीमारी पता
सर्वाइकल कैंसर का देरी से पता चलने से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। जागरूकता की कमी के कारण अधिकांश मामलों में चौथे चरण में बीमारी का पता चल पाता है। ऐसे में पीड़ित 75 फीसदी महिलाओं की इलाज के बावजूद एक साल के अंदर मौत हो जाती है। इस आंकड़ें को कम करने के लिए दून मेडिकल कॉलेज की ओर से जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है।

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