यूरोप के ठंडे देशों से प्रजनन के लिए गूलरभोज के बौर और हरिपुरा जलाशय पहुंचे विदेशी परिंदों का वन विभाग ने पक्षी विशेषज्ञों के साथ सर्वे किया। दो दिन तक चले सर्वे में दोनों जलाशयों में देसी-विदेशी कुल 110 प्रजातियां चिह्नित की गईं। पहली बार दोनों जलाशयों में अमेरिका और यूरोप में पाए जाने वाले मलार्ड (नीलसर) पक्षी की मौजूदगी पाई गई है। गिनती में सबसे अधिक तादाद गोताखोरी में माहिर माने जाने वाले रेड क्रेस्टेड पोचर्ड पक्षियों की मिली है। तराई केंद्रीय वन प्रभाग की ओर से जलाशयों में जलीय पक्षियों की गिनती के लिए छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड के पक्षी विशेषज्ञों को बुलाया गया था। विशेषज्ञों ने 31 जनवरी और एक फरवरी को हरिपुरा और बौर जलाशय में पक्षियों का सर्वे किया।
पक्षी विशेषज्ञ अमित शांकल्या ने बताया कि जलाशयों में मलार्ड, नार्थन शॉवेलर, व्हाइट टेलड लैपिंग, रेड क्रेस्टेड पोचर्ड, इंडियन स्पॉट बिल डक, अल्पाईन स्विफ्ट, यूरेशियन कूट, ब्लैक हेडेड आईिबस, टफ्टेड डक, सिटरिन वागटेल, पलास गुल, औस्प्रे सहित कई देसी-विदेशी पक्षियों की प्रजातियां मिली। विशेषज्ञों ने परिंदों की गिनती के साथ ही उनके खानपान, रहन-सहन की गतिविधियों की जानकारी भी जुटाई। सर्वे कार्य से विभाग को प्रवासी पक्षियों के लिए प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध कराने एवं पक्षी नीति बनाने में काफी सहायता मिली है। एसडीओ शशि देव ने बताया कि सर्वे से मिले आंकड़ों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। खुशी की बात है कि दोनों जलाशयों में मलार्ड पक्षी पहली बार देखा गया है। डीएफओ वैभव कुमार ने पक्षी सर्वे में प्रतिभाग करने वाले विशेषज्ञों को प्रमाणपत्र वितरित किया।
दिसंबर की अपेक्षा पक्षियों की संख्या में गिरावट
प्रवासी पक्षी ठंड के मौसम में तराई के क्षेत्र में डेरा डालकर प्रजनन करते हैं और गर्मियों की शुरुआत में अपने मूल प्राकृतिक वास को लौट जाते हैं। एसडीओ शशि देव ने बताया कि दिसंबर में पक्षियों की संख्या काफी अधिक थी लेकिन बीच में मौसम के गर्म होने से काफी संख्या में पक्षी दूसरी जगहों पर चले गए हैं। इससे अब जलाशयों में पक्षियों की संख्या बहुत कम हो गई है।
मोर की तरह सुंदर है नर मलार्ड
मलार्ड पक्षी मोर की तरह ही बहुत सुंदर है। जैसे मोर के पास पंख होते हैं वैसे ही नर मलार्ड बहुत ही चटक हरे रंग की गर्दन वाले और शेड जैसे पर वाला होता है। मादा साधारण बत्तख होती है लेकिन नर के रंग एकदम ध्यान खींचते हैं। मलार्ड जलीय वनस्पति के अलावा छोटे कीड़े-मकौड़े भी खाता है। यह यूरोप व साइबेरिया में बर्फबारी से बचने व भोजन की तलाश में आता है।
सात समंदर पार से पहली बार गूलरभोज पहुंचा मलार्ड पक्षी, मोर की तरह दिखता है सुंदर
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