Wednesday, November 27, 2024
Homeउत्तराखण्डउत्तराखंड में विधानसभा भर्ती घोटालों के विषय में डॉ सुब्रमण्यम स्वामी के...

उत्तराखंड में विधानसभा भर्ती घोटालों के विषय में डॉ सुब्रमण्यम स्वामी के हस्तक्षेप से प्रदेश के युवाओं में रोष ।

” विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता ” का घोटाला सन 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था। जिस पर सरकारें लगातार अनदेखी कर रही थी। अब तक सत्ता पर बैठे रसूकदारों में अपने करीबीयों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकारों ने चुप्पी साधी हुई है। अतः विधानसभा भर्ती में राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से वर्ष 2022 तक समस्त नियुक्तियों की जाँच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में किया जाय और भ्रष्टाचार से नौकरी देने वाले मंत्री/अफसरों से ” सरकारी धन की रिकवरी ” की माँगो पर जनहित याचिका विचाराधीन हैं। देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की इस जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल ने गंभीर संज्ञान लेते हुए सरकार को 8 हफ्ते में जवाबतलब कर बड़ी कार्यवाही की है, पर दुर्भाग्यपूर्ण है कि 10 हफ्ते बीत जाने के बाद भी सरकार ने अभी तक न्यायालय को कोई जवाब नहीं दिया है। किन्तु कल भाजपा के पूर्व सांसद, पूर्व कानून मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर व अपने सोशल एकाऊंट से ट्वीट कर विधानसभा से निलंबित 228 कर्मचारियों के पुनः बहाली हेतु आग्रह किया। इससे उत्तराखंड के युवाओं के हितों एवं हक-हकूक पर कुठाराघात हुआ है । कई सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया।उल्लेखनीय है कि जिस मुख्यमंत्री को डॉ स्वामी ने पत्र लिखा है उनके अपने रिश्तेदार इन बर्खास्त 228 कर्मचारियों में से है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की रिश्तेदार एकांकी धामी सहित 72 लोगों को मुख्यमंत्री धामी द्वारा अपने सर्वोच्च विशेषाधिकार “विचलन” का दुरुपयोग कर 2022 में नियुक्ति प्रदान की गई थी, जिसमें तत्कालीन स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल , भाजपा संगठन मंत्री अजय कुमार आदि के रिश्तेदारों को भी नियुक्ति प्रदान की गयी है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान धामी सरकार में इस विधानसभा भर्ती घोटाले के साथ UKSSSC व UKPCS में कई पेपर-लीक के मामले आये जिससे प्रदेश के लाखों युवाओं का भविष्य अंधकार में चला गया , इसीलिए निरंतर रूप से उत्तराखंड के लाखों युवा सड़कों पर भर्ती घोटालों की CBI जाँच की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे है, किन्तु सरकार सबकी अनदेखी कर बल पूर्वक आंदोलन की दबाने का काम कर रही है। याचिका में हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में सरकार के सन 2003 के शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान के आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन माना गया है, जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है, उत्तर प्रदेश विधानसभा की सन 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की सन 2011की नियमावलीयों का उल्लंघन भी किया गया है याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि ” डॉ सुब्रमण्यम स्वामी से आग्रह है कि विधानसभा भर्ती घोटाले पर जनहित याचिका के निर्णय आने तक अपना माँग-पत्र वापिस लें। उत्तराखंड का युवा सिर्फ ” पारदर्शी परिक्षा व्यवस्था ” और पेपर लीक में संलिप्त सभी दोषियों को सजा दिलाने हेतु CBI जाँच की माँग कर रहे है। उत्तराखंड की धामी सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को समस्त नियमों को दरकिनार करते हुए विधानसभा जैसे प्रतिष्ठित विधी निर्माण के सबसे विश्वसनीय संस्थानों में नौकरियां दी है जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं को सरकार और व्यवस्था पर भरोसा नहीं रहा। यह राज्य के युवाओं और जनता के साथ धोखा है, इसलिये यह सरकारों द्वारा किया गया बड़ा भ्रष्टाचार है । किन्तु धामी सरकार युवाओं पर लाठीचार्ज और दोषियों पर कोई कार्यवाही करती दिख नही रही है ।”

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments