ऐतिहासिक धरोहर हो या फिर सामग्री, जब भी इनकी बात होती है तो हर किसी के जेहन में इसको लेकर जिज्ञासा व ललक का संचार जागृत हो जाता है। अगर बात अतीत में प्रचलित मुद्राओं की हो तो इनका करीब से दीदार करना व समझना और भी अधिक सुखद अनुभूति प्रदान करता है। ऐसा ही कुछ ऐतिहासिक संग्रह देहरादून के तिलक रोड निवासी रजत शर्मा अपने घर में समेटे हुए हैं। उनके पास घर पर यह खजाना रखने की जगह नहीं है। उनके पास चक्रवर्ती सम्राट अशोक से लेकर मुगल शासक अकबर, जहांगीर, शाहजहां, मौर्यकालीन, इल्तुतमिश, पद्मावती, कश्मीर की दीदारानी और ब्रिटिशकालीन दुर्लभ चांदी व तांबे के सिक्कों का जखीरा मौजूद है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
कारमन स्कूल से हुई रजत शर्मा की पढ़ाई
फैमिली इन ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी यानी बीआइबीआइएस में प्रोजेक्ट कार्डिनेटर रजत शर्मा की पढ़ाई कारमन स्कूल से हुई। बचपन से ही पुरानी चीजों को घर पर सुरक्षित रखने का शौक था। दैनिक जागरण से बातचीत में रजत ने बताया कि पिता राम प्रसाद शर्मा वर्ष 1900 से 1942 तक सेना में एजुकेशनल इंस्ट्रक्टर थे। वर्ष 1971-72 में जब वह छह साल के थे पिता ने दो आने का एक सिक्का उन्हें उपहार में दिया था। इसके बाद सिक्के रखने का शौक तेजी से बढ़ने लगा। उन्होंने बताया कि देहरादून के अलावा सहारनपुर, बरेली, लखनऊ, जमशेदपुर, राजस्थान, भोपाल जिन भी शहरों में पुराने सिक्के होने की सूचना उन्हें मिलती है वह इनको एकत्र करने के लिए वहां पहुंच जाते हैं। जिनके पास ये मुद्राएं होती हैं वे पहले हाथ जोड़कर उनसे मांगने की कोशिश करते हैं और अगर वह नहीं मानते हैं तो रुपये देकर उनसे खरीद लेते हैं। शर्मा ने बताया कि उनके पास तकरीबन 11 किलो चांदी के सिक्के व 25 किलो तांबे के सिक्के एकत्र किए हैं। इसके अलावा 145 देशों की करेंसी भी उनके पास मौजूद है।
आस्ट्रेलिया के प्लास्टिक का भी नोट
रजत शर्मा के पास दुनिया में प्लास्टिक के नोट की शुरुआत करने वाले आस्ट्रेलिया के नोट भी हैं। एक एक डालर वाले तकरीबन पौने फीट लंबाई के हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि दिल्ली में यह नोट किसी व्यापारी के पास हैं। जिसे उन्होंने 1980 के आसपास साढ़े आठ हजार रुपये में खरीदा था। इसके अलावा यूगोस्लाविया के दिनार, जिम्बाबे के जिम्बाबिन डालर उपलब्ध हैं। जर्मनी, आस्ट्रिया, सिंगापुर, थाइलैंड, पाकिस्तान, जर्मनी, रूस, बेल्जियम की करेंसी संजोए हुए हैं।
जल्द ही मिनी म्यूजियम खोलने की तैयारी
55 वर्षीय रजत शर्मा ने बताया कि बचपन से ही उन्होंने सिक्कों को संग्रह करने का कार्य शुरू कर दिया था। आज स्थिति यह है कि उनके पास घर पर रखने की जगह नहीं है। अलग अलग पैकेट में इन्हें रखना होता है। काफी संख्या में लोग देखने व जानने के लिए उत्सुकता से आते भी हैं तो उन्हें उनकी पसंद के सिक्के अथवा नोट दिखाने के लिए ढूंढने में काफी समय लग जाता है। ऐसे में जल्द ही मिनी म्यूजियम खोलने की तैयारी है। जिससे लोग दूर से ही इन सिक्कों का दीदार कर सकेंगे।
रजत के पास ‘नायाब खजाना’… घर पर रखने की जगह नहीं; दूर-दूर से देखने आते हैं लोग
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