रानीखेत (अल्मोड़ा)। दैना गांव में आतंक का पर्याय बना तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गया है। कुछ महीने पहले एक तेंदुए ने गांव के ही एक बुजुर्ग को मौत के घाट उतार डाला था। उस आदमखोर तेंदुए को शिकारियों ने ढेर कर दिया था। इसके बाद दूसरा तेंदुआ गांव में सक्रिय हो गया और उसने गांव में आतंक मचाया हुआ था और वह मवेशियों का शिकार करने लगा। इससे गांव में भय का माहौल बना हुआ था। देर शाम वन विभाग की टीम तेंदुए को रेस्क्यू कर अल्मोड़ा रवाना हो गई। पिछले वर्ष 29 नवंबर को गांव के जंगल में मवेशी चरा रहे एक बुजुर्ग मोहन राम को तेंदुए ने मौत के घाट उतार दिया था और तेंदुआ बुजुर्ग के शरीर के आधे हिस्से को खा चुका था। ग्रामीणों के आक्रोश के बाद गांव में वन विभाग की टीम सक्रिय हुई और वहां दो पिंजरे भी लगाए गए लेकिन कई दिनों तक तेंदुआ चकमा देता रहा। इस बीच दो शिकारी भी वहां पहुंचे लेकिन तेंदुए ने अपनी राह बदल ली। आदमखोर तेंदुए को शिकारियों ने बमुश्किल तीन दिसंबर को ढेर कर दिया। इसके तुरंत बाद वहां दूसरा तेंदुआ सक्रिय हो गया और मवेशियों का शिकार करने लगा। आतंक निरंतर बढ़ता जा रहा था फिर वन विभाग की टीम ने वहां पिंजरा लगाया। बीडीसी दीपक कन्नू साह ने कहा कि उनकी पहल पर गांव में फिर से पिंजरा लगाया गया। रविवार दोपहर तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गया। तेंदुए के कैद होने से ग्रामीणों ने जहां राहत की सांस ली वहीं भय का माहौल दूर हो गया। देर शाम पहुंची वन विभाग की टीम तेंदुए को रेस्क्यू सेंटर अल्मोड़ा के लिए ले गई।
मरचूला क्षेत्र के कई गांवों में बाघ का आतंक
अल्मोड़ा। मरचूला क्षेत्र के कई गांवों में बाघ का आतंक बना हुआ है जिससे लोग दहशत में हैं। ग्रामीणों के मुताबिक महिला को मौत के घाट उतारने के बाद बाघ की क्षेत्र में सक्रियता बनी हुई है। वन विभाग के कर्मी गश्त में जुटे हैं। उन्होंने क्षेत्र के गांवों में पहुंचकर लोगों को जागरूक करते हुए सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की अपील की। मरचूला के झड़गांव में बीते आठ फरवरी को जंगली जानवर ने महिला को मौत के घाट उतार दिया था। दूसरे दिन घटनास्थल पर एक बाघिन मृत अवस्था में मिली। लोगों को उम्मीद थी कि अब बाघ का आतंक खत्म हो जाएगा लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। क्षेत्र के सांकर, जमरिया, कूपी, झड़गांव में अब भी बाघ की सक्रियता बनी हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि शाम होते ही बाघ आबादी में पहुंचकर दहाड़ रहा है। ऐसे में उनका घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है और वे शाम होते ही घरों में दुबकने को मजबूर हैं। रविवार को वन कर्मियों ने वन्य जीव विशेषज्ञ राजीव सोलेमन के नेतृत्व में झड़गांव पहुंचकर ग्रामीणों को जागरूक किया। सोलेमन ने बताया कि बाघ, तेंदुआ सहित अन्य वन्य जीव हिंसक होते हैं। अचानक उनके सामने आने से वे लोगों पर हमला कर सकते हैं। ऐसे में ग्रामीणों को सतर्क रहने की जरूरत है। इसके बाद वन कर्मियों ने क्षेत्र में गश्त कर बाघ की खोजबीन की लेकिन वह कहीं नजर नहीं आया। रेंजर गंगा सरन ने कहा कि टीम क्षेत्र में लगातार गश्त कर लोगों की सुरक्षा में जुटी रहेगी। इस मौके पर प्रधान अनीता देवी, वन दरोगा चंद्रशेखर, हिम्मत सिंह बोरा, कंचन कुमार सहित कई लोग मौजूद रहे।
दैना गांव में आतंक का पर्याय तेंदुआ पिंजरे में कैद
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